Bihar News : डॉ. नुसरत परवीन ने तोड़ी ज्वाइनिंग की आखिरी डेडलाइन, बिहार सरकार ने किया बड़ा फैसला!
PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने की कथित कोशिश का मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर गरमा गया है। इस विवाद के केंद्र में रहीं आयुष चिकित्सक डॉ. नुसरत परवीन ने शनिवार (20 दिसंबर) को नौकरी ज्वाइन करने की अंतिम तिथि होने के बावजूद अपना कार्यभार नहीं संभाला। हालांकि, बढ़ते तनाव और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य स्वास्थ्य समिति ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए ज्वाइनिंग की अंतिम तिथि को बढ़ाकर अब 31 दिसंबर 2025 कर दिया है।
इंतजार के बाद भी नहीं पहुंचीं डॉ. नुसरत
शुक्रवार को डॉ. नुसरत के करीबी सूत्रों से यह जानकारी मिली थी कि वह शनिवार को पटना सदर के सबलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में अपना योगदान देंगी। इस सूचना के बाद शनिवार सुबह से ही सिविल सर्जन कार्यालय और सबलपुर पीएचसी में गहमागहमी का माहौल बना रहा। पटना के सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार देर शाम 6 बजे तक अपने कार्यालय में डॉ. नुसरत का इंतजार करते रहे, लेकिन वह वहां नहीं पहुंचीं।
प्रशासनिक प्रक्रिया और अन्य डॉक्टरों का योगदान
सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि आयुष चिकित्सक के रूप में नियुक्ति के लिए शनिवार को ज्वाइनिंग का आखिरी दिन निर्धारित था। इसी सूची में शामिल अन्य पांच डॉक्टरों ने समय पर सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचकर अपनी मेडिकल जांच कराई और दस्तावेज सत्यापित करवाकर सबलपुर PHC में ज्वाइन कर लिया। नियमानुसार, किसी भी चिकित्सक को पहले सिविल सर्जन कार्यालय में रिपोर्ट करना होता है, जहां से मेडिकल जांच के बाद आधिकारिक ज्वाइनिंग लेटर जारी किया जाता है।
रहस्यमयी चुप्पी और विभाग की कार्रवाई
डॉ. नुसरत परवीन की ओर से अभी तक स्वास्थ्य विभाग को कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है कि वे नौकरी ज्वाइन करेंगी या नहीं। शनिवार को उनके न पहुंचने का कारण भी स्पष्ट नहीं किया गया है। सबलपुर पीएचसी के चिकित्सा प्रभारी डॉ. विजय कुमार ने स्पष्ट किया कि ज्वाइनिंग के लिए सिविल सर्जन का हस्ताक्षरित पत्र अनिवार्य है, जो डॉ. नुसरत ने अब तक प्राप्त नहीं किया है। विभाग अब इस बात का इंतजार कर रहा है कि क्या वह बढ़ी हुई समय सीमा के भीतर उपस्थित होती हैं।
विवाद की पृष्ठभूमि और भविष्य की स्थिति
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े इस हिजाब प्रकरण ने बिहार की सियासत में उबाल ला दिया है, जिससे डॉ. नुसरत परवीन की प्रोफेशनल ज्वाइनिंग भी अब एक बड़ा मुद्दा बन गई है। जहां स्वास्थ्य विभाग ने 31 दिसंबर तक का अतिरिक्त समय देकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है, वहीं डॉ. नुसरत की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। अब यह पूरी तरह स्वास्थ्य विभाग के विवेक पर निर्भर करेगा कि आगामी दिनों में इस नियुक्ति को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है।