Bihar News : भागलपुर में विकास की आहट के बीच 'आम के शहर' का वजूद खतरे में, पीरपैंती में अडानी पावर प्लांट को लेकर कटने लगे पेड़

Bihar News : भागलपुर में विकास की आहट के बीच 'आम के शहर' का
कटने लगे पेड़ - फोटो : BALMUKUND

Bhagalpur : बिहार के पीरपैंती में प्रस्तावित अडानी पावर प्लांट (विद्युत ताप गृह) के निर्माण की दिशा में अब गतिविधियां तेज हो गई हैं। बिहार सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि पर लगे पेड़ों की कटाई का काम युद्ध स्तर पर जारी है। पेड़ कटाई शुरू होते ही जहां एक ओर औद्योगिक विकास को लेकर क्षेत्र में हलचल बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को लेकर नई चिंताएं भी जन्म ले रही हैं।

पेड़ कटाई का कार्य शुरू होने से स्थानीय युवाओं और ग्रामीणों में रोजगार की नई उम्मीद जगी है। क्षेत्र के लोगों का मानना है कि निर्माण कार्य शुरू होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को काम मिलेगा। स्थानीय युवाओं का कहना है कि अब उन्हें मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों का रुख नहीं करना पड़ेगा। दिल्ली, पंजाब और मुंबई जैसे शहरों में गए कामगार अब घर लौटने और यहीं आजीविका कमाने की योजना बना रहे हैं, जिससे पलायन पर रोक लगने की संभावना है।

परियोजना के सकारात्मक पहलुओं के बीच, किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। पीरपैंती को कभी अपनी मिठास के कारण "आम का शहर" कहा जाता था, लेकिन ताप गृह के लिए हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से आम की खेती का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। किसानों की मानें तो इस बार आम की फसल न के बराबर होगी और इस परियोजना के कारण क्षेत्र की लगभग 80 प्रतिशत आम की खेती पूरी तरह समाप्त होने की कगार पर है।

कृषि विशेषज्ञों और स्थानीय बागवानों का कहना है कि पेड़ों की कटाई से न केवल हरियाली कम हो रही है, बल्कि इससे किसानों की आय का मुख्य स्रोत भी छिन रहा है। जो इलाका दशकों से अपनी बागवानी के लिए प्रसिद्ध था, वहां अब कंक्रीट का ढांचा खड़ा होगा। किसानों को डर है कि थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख और प्रदूषण भविष्य में बची-कुची फसलों और मिट्टी की उर्वरता को भी प्रभावित कर सकता है।

फिलहाल, पीरपैंती एक दोराहे पर खड़ा नजर आ रहा है। एक तरफ औद्योगिक क्रांति और रोजगार का सपना है, तो दूसरी तरफ पर्यावरण और पारंपरिक कृषि को होने वाली अपूरणीय क्षति। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और अडानी समूह विकास की इस दौड़ और किसानों के हितों के बीच किस प्रकार संतुलन बैठाते हैं, ताकि विकास की कीमत पर पर्यावरण का विनाश न हो। 

बालमुकुन्द की रिपोर्ट