Bihar Health: अब बीमारी नहीं बनेगी बोझ, बिहार के गांवों में पंचायत से ही मिलेगी बीपी-शुगर की मुफ्त दवा
Bihar Health: बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र में हाल के वर्षों में जो बदलाव आए हैं, वे वास्तव में 'घोषणाओं' से आगे बढ़कर बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार की ओर इशारा करते हैं।जमीनी स्तर पर सबसे बड़ा बदलाव मुफ्त दवा वितरण की उपलब्धता से आया है।
Bihar Health: बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग अब केवल घोषणाओं की राजनीति नहीं, बल्कि जमीन पर असर दिखाने वाली नीतियों की दिशा में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। राज्य के सबसे अंतिम छोर पर रहने वाले नागरिकों तक निःशुल्क दवा पहुँचाने के लिए सरकार ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है और उन्हें ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम (डीवीडीएमएस) से जोड़ा जा रहा है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि दवाओं की उपलब्धता अब फाइलों और कागज़ों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि हर पंचायत में धरातल पर दिखेगी।
अब तक राज्य के 13,856 स्वास्थ्य संस्थानों को डीवीडीएमएस से जोड़ा जा चुका है, जिसमें स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इस डिजिटल निगरानी व्यवस्था से दवा की मांग और आपूर्ति पर सीधी नज़र रखी जा सकेगी। सरकार का मानना है कि जब तक दवाओं की मैपिंग पारदर्शी और मजबूत नहीं होगी, तब तक किल्लत की शिकायतें खत्म नहीं होंगी।
स्वास्थय मंत्री मंगल पाण्डेय की रणनीति साफ है आम बीमारियों का इलाज पंचायत स्तर पर ही सुनिश्चित करना। बीपी, शुगर और अन्य गैर-संचारी रोगों की जांच अब हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर हो रही है और मरीजों को 30 दिनों की दवा एक साथ दी जा रही है। इससे न केवल मरीजों को बार-बार अस्पताल के चक्कर से राहत मिलेगी, बल्कि जिला और प्रखंड अस्पतालों पर बढ़ता दबाव भी कम होगा।
डीवीडीएमएस के तहत हर स्तर के स्वास्थ्य केंद्र के लिए दवाओं की संख्या तय की गई है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 100, स्वास्थ्य उपकेंद्र पर 25 और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 120 से 130 प्रकार की दवाएं उपलब्ध कराने का निर्देश है। इससे इलाज की निरंतरता बनी रहेगी और गरीब मरीजों को बाहर से दवा खरीदने की मजबूरी नहीं होगी।
निःशुल्क दवा वितरण के मामले में बिहार लगातार देश में अग्रणी बना हुआ है। नवंबर में भी 81 प्रतिशत से अधिक स्कोर के साथ राज्य ने बड़े राज्यों को पीछे छोड़ा है। 170 औषधि वाहनों के जरिए जिला से पंचायत तक दवा पहुँचाने की व्यवस्था इस मॉडल की रीढ़ बन चुकी है। डिजिटल सिस्टम, पंचायत स्तर पर इलाज और मजबूत सप्लाई चेन के सहारे बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को नई राजनीतिक और सामाजिक दिशा देने का दावा कर रही है जहाँ इलाज वादे नहीं, हक बनकर पहुँचे।