Airline Safety: अब हवाई यात्रा करने से पहले इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ लीजिए,उड़ने से पहले सौ बार सोचिएगा..आखिर क्यों ऐसा कहा जा रहा
Airline Safety: भारत में हवाई यात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके मुकाबले विमानन सुरक्षा और निगरानी तंत्र बेहद कमजोर है।...
Airline Safety: भारत में हवाई यात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसके मुकाबले विमानन सुरक्षा और निगरानी तंत्र बेहद कमजोर है। मार्च 2025 में संसद में पेश पर्यटन, संस्कृति और नागरिक उड्डयन पर स्थायी समिति की 375वीं रिपोर्ट में यह गंभीर चिंताएं उजागर की गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, कई छोटे हवाई अड्डों पर स्थायी एयर ट्रैफिक कंट्रोल ऑफिसर (ATCO) तक नहीं हैं। कैटेगरी-सी एयरपोर्ट्स पर एक ही अधिकारी से राडार सर्विलांस, रनवे क्लीयरेंस और मौसम रिपोर्टिंग जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य कराए जा रहे हैं। केदारनाथ, तेजू और नादिरगुल जैसे एयरपोर्ट्स पूरी तरह विजुअल कंट्रोल पर चल रहे हैं।
विशेष रूप से केदारनाथ में एक दिन में 250 से ज्यादा हेलिकॉप्टर उड़ानें दर्ज की गईं, लेकिन वहां अब तक कोई फिक्स्ड ATCO तैनात नहीं है। नादिरगुल, जो एक ट्रेनिंग एयरफील्ड है, वहां प्रशिक्षु पायलट रेडियो कम्युनिकेशन संभालते हैं। 2017 में घोषित रिमोट ATC टावर योजना भी अब तक पायलट चरण में ही अटकी है, जिससे छोटे हवाई अड्डों पर डिजिटल नियंत्रण की योजना अधूरी रह गई है।
रिपोर्ट बताती है कि:ATCO की 20-25 फीसदी तक कमी है।DGCA में 53 फीसदी, BCAS में 35 फीसदी और AAI में 17 फीसदी पद खाली हैं।
इन तीनों एजेंसियों को मिलाकर कुल बजट सिर्फ 65 करोड़ रुपये है, जबकि 2025 तक देश में 220 हवाई अड्डों के संचालन का लक्ष्य है (2014 में यह संख्या 74 थी)।
रिपोर्ट में अहमदाबाद विमान हादसे का उल्लेख किया गया है, जिसमें एयर इंडिया का एक विमान घनी बस्ती के ऊपर से उड़ते समय मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकरा गया और 275 लोगों की जान चली गई। यह हादसा बताता है कि देश के बड़े हवाई अड्डे शहरी विस्तार में फंसते जा रहे हैं।
मुंबई एयरपोर्ट, जो देश के कुल हवाई यातायात का 25% संभालता है, दुनिया का सबसे "एनक्लोज्ड" एयरपोर्ट माना गया है। उड़ान पथ में 1,000 से ज्यादा इमारतें बाधा बनी हुई हैं। कोर्ट के आदेश से कुछ हटाई गईं, पर सैकड़ों नई अवैध इमारतें बन चुकी हैं।
अहमदाबाद एयरपोर्ट भी जमीन की भारी कमी से जूझ रहा है, जबकि 2040 तक उसकी यात्री क्षमता 4 करोड़ तक पहुंचाने की योजना है। एक स्टडी के अनुसार, शहर की 10% आबादी एयर ट्रैफिक से प्रभावित है।
बहरहाल पिछले 10 वर्षों में भारत में हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था में 50% तक स्टाफ की कमी है। संसदीय रिपोर्ट ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि जल्द सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो हवाई यात्रा सुरक्षा किस्मत के भरोसे छोड़नी पड़ सकती है — जिसकी कीमत जान से चुकानी पड़ सकती है।