Bihar Health - मातृ शिशु मृत्युदर के आंकड़ों को कम करने में मिली कामयाबी, दो साल में आई इतने परसेंट की कमी, इस पड़ोसी राज्य को छोड़ा पीछे
Bihar Health - नीतीश सरकार के शासन में बिहार में मातृ-शिशु मृत्युदर के आंकड़ों में भारी सुधार हुआ है। अब बिहार की गिनती बेहतर राज्यों में हो रही है।
Patna - बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) 2025 के ताज़ा आँकड़ों में बिहार ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। जिसकी मुख्य वजह माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुशल मार्गदर्शन में सतत राज्य के भीतर स्वास्थ्य सेवाओं में आए गुणात्मक बदलाव व उन्नत स्वास्थ्य व्यवस्थाएं है। आज लगातार राज्य में स्वास्थ्य सेवा डबल इंजन की सरकार में तेजी से विकसित करने के लिए संकल्पित है। उसका ताजा उदाहरण राज्य की मातृ - मृत्यु दर (एमएमआर) में 18 अंकों की आई गिरावट है। 2021 में एमएमआर 118 थी, जो अब घटकर 100 पर पहुंच गई है। वहीं शिशु- मृत्यु दर भी राष्ट्रीय औसत के बराबर है। यह सुधार स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों व पदाधिकारियों के समर्पण व कुशल कार्यप्रणाली की देन है।
श्री पांडेय ने कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार मातृ - मृत्यु दर (एमएमआर) घटकर 100 प्रति एक लाख जीवित जन्म पर आ गई है। वहीं 2018-2020 में 118 और 2017 - 2019 में मातृ - मृत्यु दर 130 थें। मात्र इन दो वर्षों में यह लगभग 24 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। जो राष्ट्रीय औसत (103 से 93) की तुलना में सर्वाधिक तेज़ गति को दर्शाता है। यह आंकड़े बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और राज्य सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रमाणित करते हैं। वहीं, बिहार के आसपास के कुछ राज्यों में इस बार आए आंकड़ों के अनुसार मातृ- मृत्यु दर में वृद्धि देखने को मिली है। पश्चिम बंगाल में एमएमआर 94 से बढ़कर 109 हो गई है।
श्री पांडेय ने कहा कि कोविड 19 (2020- 2021) महामारी के कठिन दौर में जहां स्वास्थ्य प्रणाली पर अत्यधिक दबाव था। बिहार सरकार ने मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य को प्राथमिकता संसाधनों की कमी, लॉकडाउन के प्रतिबंध और कोविड-19 के संकट के बावजूद, राज्य सरकार ने मातृत्व देखभाल सेवाओं को लगातार गुणवत्तापूर्ण जारी रखा। इस दौरान, ग्रामीण इलाकों में आशा कार्यकर्ताओं, नर्सों और एएनएम की सक्रिय उपस्थिति सुनिश्चित की गई और टेलीमेडिसिन माध्यम से सेवाएं प्रदान की गई।
राज्य के ग्रामीण इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच गई। 2005 में बिहार का मातृ -मृत्यु दर लगभग 374 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म था, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी उच्च था। उस समय मातृ-मृत्यु दर में बड़ी वृद्धि का मुख्य कारण स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, अपर्याप्त चिकित्सा सेवाएं, और स्वास्थ्य जागरूकता की कमी थी। गाँवों में महिलाओं के लिए सुलभ और सुरक्षित प्रसव की सुविधाएं सीमित थीं और बड़ी संख्या में महिलाएँ घर पर प्रसव करती थीं, जिससे जटिलताओं और मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता था।