Bihar health - प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव के लिए 'ममता' की होगी नियुक्ति!, निजी खर्च पर बाहर से ममता को बुलाने की जरुरत होगी खत्म, मुख्य सचिव बनते ही प्रत्यय अमृत ने लिया बड़ा फैसला

Bihar health - बिहार के सभी पीएचसी में सुरक्षित प्रसव कराने के लिए नियमित रूप से ममता कार्यकर्ता की नियुक्ति की जाएगी। मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।

Patna - बिहार के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों प्रसव कराने की सुविधा उपबल्ध है। लेकिन ममता कार्यकर्ता की नियुक्ति नहीं की गई है। जिसके कारण प्रसुता के परिजनों को अपने निजी खर्च पर बाहर से ममता कार्यकर्ता  को बुलाना पड़ता है। अब इस व्यवस्था  को बदला जा रहा है। बिहार के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभालते ही प्रत्यय अमृत ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को इस मामले में जरुरी कार्रवाई करने  के निर्देश दिया है। 

जदयू नेता ने लिखा था पत्र

दरअसल, बिहार के ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे में एक बड़ी खामी को लेकर जदयू नेता प्रशांत कुमार कन्हैया ने राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर बिहार 1258 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (APHC) पर ममता कार्यकर्ताओं की बहाली की मांग की है। 

गरीब परिवार पर पड़ता है आर्थिक बोझ

जदयू नेता प्रशांत कुमार कन्हैया ने अपने लिखे पत्र में कहा कि अधिकांश APHC पर प्रसव की सुविधा तो उपलब्ध है, लेकिन ममता कार्यकर्ताओं की नियुक्ति न होने के कारण गर्भवती महिलाओं के परिजनों को निजी स्तर पर ममता कार्यकर्ता बुलाने पड़ते हैं। इसका सीधा आर्थिक बोझ गरीब और वंचित परिवारों पर पड़ता है। यह स्थिति मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है और साथ ही गरीब परिवारों के लिए आर्थिक और मानसिक तनाव का कारण भी बनती है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि प्रत्येक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ममता कार्यकर्ताओं की नियुक्ति सुनिश्चित की जाती है, तो गर्भवती महिलाओं को बेहतर देखभाल मिलेगी, गरीब परिवारों को राहत मिलेगी और राज्य में सुरक्षित मातृत्व को नया आयाम मिलेगा।

मुख्य सचिव ने लिया  संज्ञान

इस महत्वपूर्ण पत्र पर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने तुरंत संज्ञान लिया और स्वास्थ्य विभाग के सचिव को पत्र अग्रसारित कर जरूरी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि यदि यह मांग पूरी होती है, तो बिहार मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाएगा और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी।