Bihar Assembly Session:बिहार विधानसभा का मानसून सत्र 21 जुलाई से, चुनावी समीकरण साधने उतरेगी नीतीश सरकार?पास होंगे कई नए बिल
Bihar Assembly Session: बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र 21 जुलाई 2025 से प्रारंभ होगा और 25 जुलाई तक चलेगा।....
Bihar Assembly Session: बिहार विधानमंडल का बहुप्रतीक्षित मानसून सत्र 21 जुलाई 2025 से प्रारंभ होगा और 25 जुलाई तक चलेगा। यह पांच दिवसीय सत्र राज्य की राजनीति और जनहित के मुद्दों पर गहन चर्चा का केंद्र बिंदु बनेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह 17वें विधानसभा का संभवतः अंतिम सत्र हो सकता है, क्योंकि सितंबर-अक्टूबर 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस संदर्भ में यह सत्र चुनाव पूर्व की रणनीति और नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जनहित के मुद्दे और विधायी प्रस्ताव
सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें जनता के हित से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान रहेगा। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार की अगुआई वाली एनडीए सरकार चुनावी माहौल को ध्यान में रखते हुए लोक-लुभावन घोषणाएं और विधेयक पास कराने की योजना बना रही है। अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत होने की संभावना है, जिसमें 41 विभागों की विभिन्न योजनाओं के लिए राशि बढ़ाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त, महिलाओं और शिक्षकों के लिए विशेष घोषणाएं भी संभावित हैं। बिहार में 6 लाख से अधिक शिक्षक हैं, और उनके लिए आकर्षक नीतियों की उम्मीद जताई जा रही है, जो वोटरों के बीच सकारात्मक संदेश दे सकती हैं।
विपक्ष की तैयारी और संभावित हंगामा
विपक्षी दलों, विशेषकर महागठबंधन (जिसमें राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस सहित अन्य दल शामिल हैं), ने भी इस सत्र के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। कानून व्यवस्था, बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर नीतीश सरकार को कठघरे में लाने की तैयारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष के आक्रामक रुख के कारण सत्र हंगामेदार हो सकता है। एनडीए गठबंधन, जिसमें जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (रामविलास), हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल हैं, को विपक्ष से मुकाबला करने के लिए मजबूत रणनीति बनानी होगी।
चुनावी संदर्भ और महत्व
चूंकि यह सत्र चुनाव से ठीक पहले हो रहा है, इसलिए दोनों पक्ष इसे अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने का अवसर मान रहे हैं। सरकार की ओर से की जाने वाली घोषणाएं और विपक्ष का आंदोलन इस सत्र को ऐतिहासिक बना सकते हैं। बिहार की जनता की नजरें इस सत्र पर टिकी हैं, क्योंकि इसके परिणाम राज्य के भविष्य को आकार दे सकते हैं।