Bihar News: राखी पर नीतीश सरकार का तोहफा, बिहार की सरकारी बसों में बहनों के लिए फ्री सफ़र की सौगात
Bihar News: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। इस ख़ास मौक़े पर बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य की बहनों और बेटियों के लिए एक अनोखा तोहफ़ा पेश किया है।
Bihar News: रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक है। इस ख़ास मौक़े पर बिहार की नीतीश सरकार ने राज्य की बहनों और बेटियों के लिए एक अनोखा तोहफ़ा पेश किया है। 9 अगस्त को, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम की चुनिंदा सरकारी बसों में महिलाएँ और लड़कियाँ बिना टिकट के सफ़र कर सकेंगी।
यह सुविधा सिटी बसों और राज्य के विभिन्न शहरों में चलने वाली पिंक बसों पर लागू होगी। गुरुवार को निगम की ओर से जारी सूचना के अनुसार, रक्षाबंधन के दिन सुबह 6 बजे से देर शाम तक महिलाएँ बिना कोई किराया चुकाए अपने गंतव्य तक पहुँच सकेंगी। वहीं, पुरुष यात्रियों के लिए सामान्य टिकट व्यवस्था यथावत रहेगी।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह पहल न केवल महिलाओं के लिए यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि रक्षाबंधन जैसे पावन अवसर को और भी ख़ास बना देगी। राखी के दिन बहनों को अपने भाई के घर या परिवार तक पहुँचने के लिए जेब ढीली नहीं करनी पड़ेगी। यह व्यवस्था राज्य के हर उस कोने में लागू होगी जहाँ बीएसटीसीएल की बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने ऐसा कदम उठाया हो। पिछले कुछ वर्षों से रक्षाबंधन पर महिलाओं के लिए मुफ़्त यात्रा एक परंपरा बनती जा रही है। पिछले साल भी इस दिन सरकारी बसों में बहनों को फ्री सफ़र की सौग़ात दी गई थी, जिसे जनता से भरपूर सराहना मिली थी।
दिलचस्प बात यह है कि इस साल केवल बिहार ही नहीं, बल्कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़, भोपाल, इंदौर समेत कई राज्यों ने भी महिलाओं को रक्षाबंधन के अवसर पर यह सुविधा देने का ऐलान किया है। यह दर्शाता है कि सरकारें सामाजिक सरोकार और महिला सशक्तिकरण को लेकर सजग हैं।
रक्षाबंधन के दिन सुबह से ही बस अड्डों पर चहल-पहल देखने को मिलेगी। भाई की कलाई पर राखी बाँधने के लिए बहनें सज-धज कर निकलेगीं और सरकारी बसों में मुस्कुराते हुए सफ़र करेंगी। टिकट काउंटर पर ‘नो टिकट’ का संदेश इस दिन को और भी यादगार बना देगा।
यह निर्णय न केवल महिलाओं के लिए राहत भरा है, बल्कि यह सामाजिक दृष्टिकोण से भी अहम है। यह पहल एक संदेश देती है कि त्योहार केवल रस्में निभाने के लिए नहीं होते, बल्कि समाज में ख़ुशियाँ बाँटने और रिश्तों को मज़बूत करने का माध्यम भी बन सकते हैं।