Bihar Politics: बिहार मतदाता सूची पर सियासी संग्राम, तेजस्वी का आरोप, गरीबों के नाम कटे; चुनाव आयोग का दावा, कोई योग्य मतदाता नहीं छूटेगा

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सहित कई नेताओं ने आरोप लगाया कि गरीब और वंचित वर्ग के हजारों लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए। आयोग ने दोहराया कि उसका लक्ष्य है कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य मतदाता जुड़ने न पाए।

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बिहार मतदाता सूची पर सियासी संग्राम- फोटो : social Media

Bihar Politics:बिहार की प्रारूप मतदाता सूची जारी होने के बाद से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सहित कई नेताओं ने आरोप लगाया कि गरीब और वंचित वर्ग के हजारों लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है।शुक्रवार सुबह जारी डेली बुलेटिन में आयोग ने दोहराया कि उसका लक्ष्य है कि कोई भी योग्य मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अयोग्य मतदाता जुड़ने न पाए।

आयोग ने जनता से अपील की है कि एक अगस्त को प्रकाशित प्रारूप सूची में यदि कोई त्रुटि है तो दावा और आपत्ति दर्ज कराएं। हैरानी की बात यह है कि अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई।

बड़ी कतारों से बचने के लिए बिहार प्रति बूथ मतदाता संख्या को 1,200 तक सीमित करने वाला पहला राज्य बन गया है। मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 और बीएलओ की संख्या भी उतनी ही कर दी गई है। साथ ही, मतदाताओं की मदद के लिए स्वयंसेवकों की संख्या एक लाख से बढ़ाकर करीब डेढ़ लाख की जा रही है।

बिहार के 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने भी अपने बूथ लेवल एजेंट (BLA) की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है।

जिलों के हिसाब से नाम कटने के आंकड़े

प्रारूप सूची में राज्य के सभी जिलों के हजारों लोगों के नाम हटाए गए हैं। प्रमुख जिलों में यह आंकड़े इस प्रकार हैं—

पटना – 3,95,500

मधुबनी – 3,52,545

मुजफ्फरपुर – 2,82,845

पूर्वी चम्पारण – 3,16,793

गोपालगंज – 3,10,363

सीतामढ़ी – 2,44,962

गया – 2,45,663

सारण – 2,73,223

पूर्णिया – 2,73,920

(अन्य जिलों में भी हजारों नाम हटाए गए हैं)

चुनाव आयोग का कहना है कि इनमें अधिकांश नाम मृतकों, स्थानांतरित या अयोग्य मतदाताओं के हैं, और हर योग्य मतदाता को सूची में बनाए रखने के लिए पुनरीक्षण जारी है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकतंत्र, संविधान और देश के साथ विश्वासघात कर रहे नैतिक रूप से भ्रष्ट और कायर अधिकारी व संस्थाएं जनता से नहीं बच पाएंगी। सब्र का फल मीठा होता है।

तेजस्वी ने बताया कि उन्होंने सभी जिलाध्यक्ष, प्रधान महासचिव, विधायक और विधान पार्षद के साथ प्रारूप मतदाता सूची में पाई जा रही शिकायतों व विसंगतियों पर विस्तार से चर्चा की है।

तेजस्वी ने सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग से सीधा सवाल किया कि इन 65 लाख मतदाताओं को मृत, स्थानांतरित या अनुपस्थित घोषित करने का आधार क्या है?मृतक मतदाताओं के मामलों में, परिजनों से कौन सा दस्तावेज लिया गया जिससे मौत की पुष्टि हुई?जिन 36 लाख मतदाताओं को “स्थानांतरित” या “अस्थायी रूप से पलायित” बताया गया है, उसका ठोस आधार क्या है?

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर अस्थायी पलायन के आधार पर 36 लाख गरीब मतदाताओं का नाम काटा जा रहा है, तो यह आंकड़ा तो भारत सरकार के अपने आंकड़ों के अनुसार बिहार से हर साल बाहर जाने वाले तीन करोड़ पंजीकृत श्रमिकों से भी अधिक होना चाहिए।तेजस्वी का कहना है कि चुनाव आयोग को इस पूरे मामले में पारदर्शिता दिखानी होगी, वरना यह लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का मामला बन जाएगा।