खेती हो या व्यवसाय बिहार की महिलाओं ने किया कमाल, नीतीश सरकार की योजनाओं ने जमीनी स्तर पर लाए कई बड़े बदलाव
बिहार में नीतीश कुमार ने वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो योजनाएं लाई उससे एक साथ खेती से व्यवसाय तक में नारी शक्ति का दबदबा बढ़ा है
Bihar News : महिलाओं को आत्मनिर्भर और नेतृत्व करने वाली नारी शक्ति बनाने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच और उनकी सरकार की योजनाओं ने जमीनी स्तर पर कई बड़े बदलाव लाए हैं। बिहार की मिट्टी में अब महिलाओं के हाथों से नई कहानियाँ लिखी जा रही हैं। इसका नतीजा है कि कभी घर की चौखट तक सीमित रहने वाली बिहार की महिलाएं आज खेत-खलिहान और कारोबार की कमान संभाल रही हैं।
38 लाख महिलाएं बनीं नए दौर की किसान
एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार के गांवों में 38 लाख से अधिक महिलाएं आधुनिक खेती की तकनीक सीख चुकी हैं। यह बदलाव जीविका योजना और कृषि विभाग की साझेदारी से संभव हुआ है। राज्यभर में 519 कस्टम हायरिंग सेंटर खोले गए हैं, जहां से महिलाएं ट्रैक्टर, थ्रेशर, सीड ड्रिल और पावर टिलर जैसी मशीनें किराये पर ले रही हैं। इससे खेती की लागत कम हुई है, मेहनत घटी है और उत्पादन में तेजी आई है।
पशुपालन और नीरा उत्पादन में मजबूत पकड़
महिलाओं की आत्मनिर्भरता की नई कहानी का बड़ा क्षेत्र पशुपालन और नीरा उत्पादन बना है। साथ ही बकरी पालन, दूध उत्पादन और छोटे डेयरी उद्योगों में भी सफलता की नई मिसाल लिख रही हैं। राज्य में 10 लाख से अधिक परिवार इनसे जुड़े हैं। बीते वर्ष महिला स्वयं सहायता समूहों ने 1.9 करोड़ लीटर नीरा का उत्पादन और बिक्री की। इस पहल ने गांवों की अर्थव्यवस्था को सशक्त किया और महिलाओं के लिए स्थायी आय का नया मार्ग खोला। अररिया में सीमांचल बकरी उत्पादक कंपनी से करीब 20 हजार परिवार जुड़ चुके हैं।
बाजार में महिलाओं की सीधी भागीदारी
खेती में व्यावसायिक सोच लाने के उद्देश्य से अब राज्य में 61 महिला किसान उत्पादक कंपनियां (FPCs) सक्रिय हैं। ये कंपनियां खेत से उपज खरीदती हैं, उसका प्रसंस्करण और पैकेजिंग करती हैं और फिर सीधे बाजार में बेचती हैं। इससे महिला किसानों को बेहतर दाम और पहचान दोनों मिल रहे हैं।
शहद से लेकर ड्रोन तक का सफर
बिहार में 11,855 महिलाएं मधुमक्खी पालन से जुड़ी हैं और अब तक 3,550 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन कर चुकी हैं। वहीं सरकार की ‘ड्रोन दीदी योजना’ ने महिलाओं को टेक्नोलॉजी से जोड़ा है। इस योजना के तहत महिलाओं को ड्रोन खरीदने पर 80% यानी 8 लाख रुपये का अनुदान दिया जा रहा है, शेष राशि जीविका समूह उपलब्ध करा रहे हैं। अगले दो वर्षों में 14,500 महिला समूहों को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
खेतों में उड़ते ड्रोन, बदलती तस्वीर
जैविक खेती, बीज संरक्षण, फल-सब्जी प्रसंस्करण और कृषि उत्पादों में विविधता—हर क्षेत्र में अब महिलाएं समान भागीदार हैं। गांवों के आकाश में उड़ते ड्रोन और खेतों में मेहनत करती महिलाएं इस नए बिहार की पहचान हैं। यह बदलाव साफ दिखा रहा है कि बिहार की मिट्टी अब महिलाओं के हाथों से भविष्य की नई इबारत लिख रही है।