Bihar Politics: सीएम नीतीश को बड़ा झटका, जदयू के वरिष्ठ नेता ने 26 साल बाद छोड़ा साथ, इस पार्टी में हुए शामिल
Bihar Politics: सीएम नीतीश को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। सीएम नीतीश के ऐसे साथी जो पिछले 26 सालों से उनके साथ थे उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया है।
Bihar Politics: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। नेता लगातार पार्टी बदल रहे हैं। पक्ष -विपक्ष के नेता एक दूसरे पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। इसी बीच सीएम नीतीश को बड़ा झटका लगा है। सीएम नीतीश के 26 सालों के साथी जो समता पार्टी के समय से उनके साथ थे उन्होंने साथ छोड़ दिया है।
26 सालों के बाद छोड़ा साथ
जानकारी अनुसार जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता और अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव धर्मेंद्र चौहान ने शनिवार को पार्टी छोड़ दी और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया। धर्मेंद्र चौहान पिछले 26 वर्षों से नीतीश कुमार के साथ समता पार्टी के जमाने से जुड़े रहे हैं। इस दौरान उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक कार्यों से लेकर चुनावी अभियानों तक में अहम भूमिका निभाई।
सीएम नीतीश को बड़ा झटका
चौहान इस्लामपुर विधानसभा के कस्तूरी बिगहा गांव के निवासी हैं और नोनिया-बिंद-बेलदार समाज से आते हैं। वे इस समाज के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं और वर्षों से बिहार राज्य नोनिया-बिंद-बेलदार महासंघ के संयोजक के रूप में समाज को संगठित करने में लगे रहे हैं।
जन सुराज का दामन थामा
चौहान ने शनिवार को नालंदा जिले के एकंगरसराय स्थित सुखदेव अकादमी मैदान में हजारों समर्थकों की मौजूदगी में जन सुराज पार्टी की सदस्यता ली। इस मौके पर जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर भी मौजूद रहे। मंच से बोलते हुए धर्मेंद्र चौहान ने कहा कि वे बिहार में बदलाव, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और परिवारवाद से मुक्त राजनीति की स्थापना के लिए जन सुराज से जुड़े हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे गांव से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन को मजबूत करने के लिए पूरी मेहनत करेंगे।
भाजपा नेता जनसुराज के हुए
इस मौके पर इस्लामपुर भाजपा के महामंत्री नीरज कुमार चंद्रवंशी ने भी जन सुराज की सदस्यता ग्रहण की। चौहान के जदयू छोड़ने को राजनीतिक विश्लेषक बड़ा नुकसान मान रहे हैं क्योंकि नोनिया-बिंद-बेलदार समाज की प्रदेश में अच्छी खासी चुनावी हिस्सेदारी है। ऐसे में यह बदलाव 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।