Patna crime: पटना में माइक्रो फाइनांस कंपनी के दो कर्मियों ने कि आत्महत्या, मरने से पहले हाथ पर लिखा चौंकाने वाली बात

पटना की एक माइक्रो फाइनांस कंपनी में दो कर्मचारियों सचिन और अनन्या ने दो दिन के अंदर आत्महत्या कर ली। हाथ पर लिखा मैसेज, परिवार के आरोप और पुलिस की ढिलाई ने मामले को रहस्य बना दिया है।

Patna crime
Patna crime- फोटो : social media

 Patna microfinance staff suicide: पटना के रूपसपुर थाना क्षेत्र में स्थित एक माइक्रो फाइनांस कंपनी में काम करने वाले दो कर्मचारियों की आत्महत्या की घटनाएं लगातार दो दिन में सामने आई हैं। इन घटनाओं ने न केवल लोगों को झकझोर दिया है, बल्कि एक बार फिर से कार्यस्थल पर उत्पीड़न, मानसिक तनाव और प्रशासन की ढिलाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पहली घटना 21 मार्च को सामने आई, जब कंपनी में कार्यरत युवक सचिन ने अपने आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह रूपसपुर के गायत्री नगर में रहते थे। पुलिस को उनकी मौत की सूचना अगले दिन 22 मार्च को मिली। पुलिस के अनुसार, मौत के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे जांच मुश्किल हो गई है।

लेकिन इस रहस्यमयी घटना से भी बड़ा मोड़ तब आया जब 22 मार्च को, यानी सचिन की मौत की जानकारी पुलिस को मिलने वाले दिन, उसी कंपनी की महिला कर्मचारी अनन्या ने भी आत्महत्या कर ली। अनन्या की मौत ने इस मामले को और उलझा दिया है। उसके भाई शुभम ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि कंपनी के उच्चाधिकारियों द्वारा दी जा रही मानसिक प्रताड़ना ही उसकी बहन की मौत की वजह है।

आत्महत्या से पहले हाथ पर लिखा संदेश: एक मौन चीख

अनन्या की आत्महत्या को और रहस्यमय बना देता है उसका आखिरी संदेश, जो उसने अपने हाथ पर लिखा था। उसमें लिखा था, "कंपनी अच्छी नहीं है। कोई मरता है तो किसी को फर्क नहीं पड़ता।" यह लाइनें सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि उस मनोवैज्ञानिक दबाव का प्रतीक हैं जिसे वह झेल रही थी। इन शब्दों से यह भी झलकता है कि वह अकेली थी, बेबस थी, और शायद यह संकेत भी दे रही थी कि उसकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार है।पुलिस ने अब तक कंपनी के किसी भी अधिकारी से पूछताछ नहीं की है। यह पुलिसिया ढिलाई जनता में असंतोष का कारण बन रही है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच या औपचारिकता?

घटना को एक महीना बीत जाने के बावजूद अभी तक अनन्या और सचिन की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिल सकी है। रूपसपुर थानाध्यक्ष रणविजय कुमार ने बताया कि जांच जारी है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति सामने नहीं आई है। इस मामले में न तो कंपनी की आंतरिक रिपोर्ट सामने आई है और न ही किसी उच्च स्तर की जांच की घोषणा की गई है।

पीड़ित परिवार की मांग: न्याय या निराशा?

अनन्या के भाई शुभम का कहना है कि बहन को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था और जब उसने विरोध किया तो उसे मानसिक रूप से कमजोर करने की कोशिश की गई। उनका यह भी आरोप है कि कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट ने जानबूझकर इन कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक दबाव बनाया। शुभम और अन्य परिजनों की मांग है कि इस मामले की जांच CBI से करवाई जाए और कंपनी के उच्च अधिकारियों से पूछताछ की जाए।

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