Patna News:पटना डूबा! थम गई रफ्तार, हाईफाई इलाकों में जलकर्फ्यू, रेलवे ट्रैक पर पानी हीं पानी, बारिश ने खोली पोल

Patna News:डाक बंगला रोड, पटना जंक्शन, बोरिंग रोड, राजेन्द्र नगर और स्टेशन जैसे हाईफाई इलाकों में घुटनों तक भरा पानी अब केवल आम जनता की परेशानी नहीं, बल्कि प्रशासन की नाकामी का प्रतीक बन चुका है।

पटना डूबा! थम गई रफ्तार- फोटो : Hiresh Kumar

Patna News:ऐतिहासिक राजधानी जहां कभी बुद्ध की शांति गूंजती थी, आज जलजमाव की अफरातफरी में डूबी हुई है। रविवार देर रात से शुरू हुई झमाझम बारिश ने पूरे शहर को मानो बंधक बना लिया है। आसमान से बरसते बादलों की यह बेरहम मार पटना नगर निगम की लापरवाहियों की परतें खोल कर रख गई है।

डाक बंगला रोड, पटना जंक्शन, बोरिंग रोड, राजेन्द्र नगर और स्टेशन जैसे हाईफाई इलाकों में घुटनों तक भरा पानी अब केवल आम जनता की परेशानी नहीं, बल्कि प्रशासन की नाकामी का प्रतीक बन चुका है। पटना जंक्शन के रेलवे ट्रैक पर पानी चढ़ चुका है। रेल और सड़क दोनों ही पस्त हैं, और जनता त्रस्त।

स्कूल वैन समय पर नहीं पहुंचीं, दफ्तर जाने वाले लोग घरों में कैद हो गए, बच्चों और बुज़ुर्गों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। सड़कें अब सड़कों जैसी नहीं लगतीं, वे तो मानो छोटे-छोटे दरिया बन चुकी हैं, जिनमें हर रोज़ का जीवन बहता चला जा रहा है।

यह मानसून का कोई पहला साल नहीं है। हर बरस नगर निगम करोड़ों खर्च कर जल निकासी की “व्यवस्था” की बात करता है। दावे होते हैं कि नालों की सफाई हो चुकी है, मशीनें तैनात हैं, कंट्रोल रूम सतर्क है। पर जैसे ही बादल दो घंटे बरसते हैं, सभी दावों की स्याही पानी में घुल जाती है।

जलजमाव अब केवल एक जलप्रदूषण नहीं, एक प्रशासनिक अपराध बन चुका है। लोग फिसल रहे हैं, गाड़ियाँ बंद हो रही हैं, ट्रैफिक जाम के जाल में फंसी हुई ज़िंदगी खुद को कोस रही है। पैदल चलने वालों की हालत ऐसी है कि उन्हें हर क़दम उठाते हुए यह डर है कि कहीं ढँका नाला न हो, कहीं बिजली का करंट न दौड़ जाए।

शहर का जनजीवन रुक सा गया है। लोगों की दिनचर्या, व्यापार, स्कूल, अस्पताल  सब पर पानी की चादर तनी हुई है। यह चादर सिर्फ बारिश की नहीं, प्रशासन की उदासीनता की है।

अब सवाल यह नहीं कि पटना में जलजमाव क्यों हुआ।सवाल यह है कि हर साल यही क्यों होता है? सवाल यह है कि कब तक लोग इस ‘नरकीय व्यवस्था’ को झेलेंगे?और सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार भी जिम्मेदार कुर्सियों पर बैठकर सिर्फ “जांच के आदेश” देंगे?जब तक जवाब नहीं मिलता, पटना डूबा रहेगा पानी में भी, और वादों की झूठी गहराइयों में भी।