Patna highcourt - बदला लेने के लिए बाइक में शराब रखा, गाड़ी करवायी जब्त, अब हाईकोर्ट ने विभाग को दिया यह निर्देश

Patna - पटना हाईकोर्ट ने शराब की तस्करी में संलिप्त रहे मोटरसाइकिल को नहीं छोड़े जाने पर सवाल उठाते हुए वाहन को उसके पंजीकृत मालिक के पक्ष में छोड़ने का आदेश दिया है। जस्टिस अरुण कुमार झा ने करनाल कुमार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया कि गोलू कुमार नाम के एक व्यक्ति के मोटरसाइकिल से उनकी मोटरसाइकिल  दुर्घटनाग्रस्त हो गई। आवेदक का गोलू कुमार के बीच कुछ विवाद हो गया।

जिसके बाद झूठे मामले में फंसाने के लिए आवेदक के मोटरसाइकिल में अवैध शराब रख उसे जब्त करवा दिया। जांच में यह तथ्य सामने आया कि घटना में आवेदक की मोटरसाइकिल की कोई संलिप्तता नहीं हैं, और गोलू कुमार और उनकी मोटरसाइकिल एंव एक अज्ञात सह-अभियुक्त के खिलाफ मामला सही पाया गया। 

हालांकि ट्रायल कोर्ट ने बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम की धारा 60 के प्रतिबंध पर विचार करते हुए वाहन को छोड़ने की अनुमति नहीं दी। वही राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि आवेदक के मोटरसाइकिल की संलिप्तता नहीं पाई गई हैं। लेकिन उन्हें इस केस में सम्बंधित विभाग से कोई निर्देश नही मिला है। उनका कहना था कि मोटरसाइकिल छोड़ने के बिंदु पर कोर्ट विचार करें।

कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि पुलिस को सूचना मिली थी कि आवेदक के मोटरसाइकिल से शराब का परिवहन किया जा रहा है। घटना स्थल पर जब पुलिस पहुची, तो पाया कि मोटरसाइकिल के हैंडल में लटके एक बैग में 1.08 लीटर विदेशी शराब बरामद की। 

मामले की जाँच की गई और बाद में पुलिस को पता चला कि मोटरसाइकिल मालिक का गोलू कुमार नामक व्यक्ति से कुछ विवाद हुआ था और गोलू कुमार ने आवेदक को फँसाने के लिए उसकी मोटरसाइकिल पर शराब रख दी थी।

कोर्ट ने बिहार मद्य निषेध एवं उत्पाद शुल्क अधिनियम की धारा 60 का विस्तृत व्यख्या की।कोर्ट ने कहा कि धारा 60 स्पष्ट करती है कि जब किसी अपराध को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई शराब, सामग्री, बर्तन, औज़ार या उपकरण या कोई पात्र, पैकेज, कोई पशु-गाड़ी, जलयान या अन्य वाहन आबकारी अधिनियम के तहत ज़ब्त या हिरासत में लिया जाता है, तभी अदालत को ऐसी संपत्ति के संबंध में कोई आदेश देने का अधिकार नहीं होगा। 

लेकिन जब जाँच अधिकारियों ने स्वयं संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दे कहा कि वाहन घटना में शामिल नहीं था। तब वाहन को ज़ब्त या हिरासत में लेने का कोई कारण नहीं था।

कानून की स्थिति और वर्तमान परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने अपनी असाधारण शक्ति का प्रयोग करते हुए वाहन को उसके पंजीकृत मालिक के पक्ष में छोड़ने का आदेश दिया।साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया।