Bihar news -1.60 लाख रिश्वत लेने वाले चपरासी के मामले में नया मोड़, गिरफ्तारी के 24 घंटे बाद निर्दोष बता निगरानी ने छोड़ा, जानें क्या हुआ था

Bihar news - रिश्वत के पैसे के साथ गिरफ्तार चपरासी के साथ 24 घंटे में कुछ ऐसा हुआ कि निगरानी टीम ने न सिर्फ उसे निर्दोष बता दिया, बल्कि उसे रिहा भी कर दिया।

Sasaram - रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल कार्यालय में मंगलवार को हुई एक बड़ी कार्रवाई ने बुधवार को पूरी तरह नया मोड़ ले लिया। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) ने जिस चपरासी विनोद कुमार को 1 लाख 60 हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप में रंगे हाथ गिरफ्तार किया था, गहन पूछताछ और जांच के बाद उसे निर्दोष मानते हुए छोड़ दिया गया है। इस घटनाक्रम से इलाके में फैली सनसनी अब एक बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रही है।

नौ घंटे की पूछताछ के बाद खुला सच 

मंगलवार को हुई गिरफ्तारी के बाद विनोद कुमार को निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा करीब 9 घंटे तक लगातार पूछताछ की गई। इस लंबी पूछताछ और गहन जांच पड़ताल के बाद ब्यूरो ने पाया कि विनोद कुमार इस मामले में निर्दोष हैं और उन्हें फंसाने की साजिश रची गई थी। बुधवार को जिला पुलिस के माध्यम से जारी एक आधिकारिक प्रेस रिलीज में इस बात की पुष्टि की गई, जिसने एक दिन पहले की घटना को पूरी तरह पलट दिया।

CCTV फुटेज ने किया पर्दाफाश 

इस पूरे मामले में सबसे अहम सबूत अनुमंडल कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज से सामने आया। फुटेज में साफ तौर पर देखा गया कि दो अज्ञात लोग पैसे से भरा एक बैग लेकर कार्यालय में आते हैं और चुपके से कर्मचारियों की पीठ पीछे उसे रखकर वहां से निकल जाते हैं। इसके कुछ ही देर बाद निगरानी की टीम कार्यालय पहुंचती है और उस बैग के मिलने पर चपरासी विनोद कुमार को पकड़कर ले जाती है। यह पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड हो गया, जिसने सच्चाई को उजागर कर दिया।

निर्दोष चपरासी और साजिश के तार 

निगरानी ब्यूरो द्वारा विनोद कुमार को निर्दोष करार दिए जाने और सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि चपरासी को जानबूझकर इस मामले में फंसाने की कोशिश की गई थी। इस घटना ने कार्यालयों में होने वाली आंतरिक राजनीति और कर्मचारियों को फंसाने की साजिशों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन अब उन दो अज्ञात व्यक्तियों की तलाश में जुट गया है, जिन्होंने पैसे से भरा बैग कार्यालय में रखा था, ताकि इस साजिश के पीछे के असली चेहरों का पर्दाफाश किया जा सके।

कानून व्यवस्था पर उठे सवाल 

एक दिन पहले हुई गिरफ्तारी और फिर अगले दिन निर्दोष साबित होकर रिहाई ने न केवल निगरानी ब्यूरो की शुरुआती जांच पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे लोगों को झूठे आरोपों में फंसाया जा सकता है। यह मामला एक सबक है कि किसी भी कार्रवाई से पहले गहन जांच और सभी पहलुओं पर विचार करना कितना आवश्यक है। उम्मीद है कि इस मामले में शामिल असली दोषियों को जल्द ही कानून के शिकंजे में लाया जाएगा।