Patna ISKCON : पटना इस्कॉन में दूसरे दिन श्री राधावल्लभ प्रभु ने सुनाई कथा, भक्ति रस से सराबोर रहे श्रद्धालु

Patna ISKCON : पटना इस्कॉन में दुसरे दिन श्री राधावल्लभ प्रभु ने कथा सुनाई. जिसे भक्त गण गंभीरतापूर्वक सुनते रहे....पढ़िए आगे

पटना इस्कॉन में कथा - फोटो : SOCIAL MEDIA

PATNA : इस्कॉन मंदिर में आज दूसरे दिन के कथा इस्कॉन वृंदावन से ही श्री राधावल्लभ प्रभु जी द्वारा हुआ। आज का प्रसंग महाभारत युद्ध के पश्चात द्रोपदी के पांचो पुत्रों के नृशंस हत्या के बारे में था। द्रौपदी महारानी के पांचो पुत्रों के अश्वत्थामा ने रात्रि में आकर हत्या कर दी। ये पांचो पुत्र बालक थे निरीह ही थे और निर्दोष थे। अपने कुल के उत्तराधिकारियों के नष्ट होने से दुर्योधन जैसा कुलांगार भी दुखी हो गया। अर्जुन के क्रोध के कारण श्री कृष्ण रथ से जाकर के और अश्वत्थामा को पकड़ ले आए तथा उसे बांधकर पशु की भांति द्रोपदी के सामने पटक दिया। यह कैसी विडंबना है की माता में करुणा कूट-कूट कर भरी होती है। पुत्र वत्सला द्रौपदी अपने अपने पुत्रों की हत्या को भूल गए और वह अश्वत्थामा में द्रोणाचार्य के पुत्र के दर्शन करने लगी। उन्होंने तुरंत कहा मुच्चताम मूच्यताम मूच्यतामेष।

अश्वत्थामा मुक्त अवश्य हो गया।  किंतु अपनी नीचता से बाज नहीं आया।  उसने मेरी गर्भस्थ बालक पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया। उत्तरा दौड़ी दौड़ी श्री कृष्ण के पास में गई और उनके चरणों पर गिर गयी। कृष्ण भले मेरे ही प्राण निकल जाए।  लेकिन मेरे गर्भस्थ शिशु की रक्षा करो। कृष्ण ने उसे गर्भस्थ परीक्षित की रक्षा की। यह एक आश्चर्य है की एक बालक जिसने अभी जन्म भी नहीं लिया था।  उसने गर्भ में ही श्री कृष्ण के दर्शन कर लिए।  यह एक अभूतपूर्व और अविश्वसनीय चमत्कार है। 

आगे श्री राधाबल्लभ दास जी ने कहा की यही सही आचरण है।  जब भी कोई संकट आए जब भी कोई विपत्ति आए।  सीधे भगवान को पकड़ना चाहिए। वही सारी समस्याओं का समाधान करते हैं। कृष्ण तो साक्षात धर्म है उनका आदेश ही धर्म है।  उनकी शरणागति में धर्म है।  जिसे सभी लोगों ने अपनाया है और शास्त्रों ने इसके संस्तुति की है। द्रौपदी ने भी तो यही किया था।  जब दर्जनों की सभा में उसे अपमानित किया जा रहा था।  उसने सीधे श्री कृष्ण का स्मरण किया और उन्होंने जाकर उसके लज्जा की रक्षा की। मनुष्य का सही धर्म श्री कृष्ण की शरणागति है और वही इस जगत का भरण पोषण करते हैं।  वहीं इसकी रक्षा करते है। जब वह सब की रक्षा करते हैं तो फिर एक सामान्य मनुष्य की रक्षा करने में उन्हें क्या कष्ट होगा।

लेकिन कुंती माता की तो बात ही अलग उन्होंने श्री कृष्ण से विपत्तियों को मांग लिया। उनका मानना था कि जब-जब उन पर या उनके परिवार पर विपत्तियां हैं श्री कृष्णा स्वयं उपस्थित होकर के उनकी रक्षा करते रहे। विपत्तियों में भगवान का स्मरण होता है। संपत्ति या सुख सुविधा में तो आदमी उन्हें भूल ही जाता है।भावपूर्ण इस जगन्नाथ कथा का आज दूसरा दिवस था। भजनों से सजी यह भक्तिमय कथा 26 जून तक इस्कॉन पटना के वैदिक संस्कृत केंद्र में संध्या 4:00 बजे से 7:00 बजे तक प्रतिदिन चलेगी।