मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद पूरी, 61 लाख वोटरों किया को जाएगा बाहर, नाम कटा हो तो ऐसे करें दावा
बिहार के 61 लाख से ज्यादा मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से कटेगा. एसआईआर का अंतिम दिन हो चुका है जिसके बाद 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची जारी होगी. नाम कटा हो तो जान लें क्या करना है.
SIR in Bihar : बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत गणना प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि से एक दिन पहले यानी भारत के चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार की मतदाता सूची से 61.1 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाएँगे। चुनाव आयोग (ईसी) ने 24 जुलाई को कहा कि अधिकारी अब तक 99% मतदाताओं तक पहुँच चुके हैं। 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 7.21 करोड़ गणना प्रपत्र जमा और डिजिटल किए जा चुके हैं, और केवल 7 लाख ने ही अपने प्रपत्र वापस नहीं किए हैं।
प्रत्येक विधानसभा में 25 हजार का कटेगा नाम !
चुनाव आयोग ने कहा कि जिन 61.1 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं, उनमें से 21.6 लाख की मृत्यु हो चुकी है, 31.5 लाख स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं, 7 लाख मतदाता कई स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, और 1 लाख का पता नहीं चल पा रहा है। यदि यह आँकड़ा सही है, तो बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से औसतन 25,144 नाम हटाए जा सकते हैं। इसका विधानसभा चुनावों के परिणामों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो संभवतः कुछ महीनों में होने वाले हैं, क्योंकि पिछले चुनावों में कई सीटों पर जीत का अंतर बहुत कम था।
चुनाव पर बड़ा असर
2020 के चुनावों में, 11 सीटों पर 1,000 से कम मतों के अंतर से, 35 सीटों पर 3,000 से कम मतों के अंतर से और 52 सीटों पर 5,000 से कम मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। विपक्षी महागठबंधन - जिसमें राजद और कांग्रेस सहित अन्य दल शामिल हैं, और जो इस प्रक्रिया का विरोध कर रहा है और इसे जल्दबाजी में किया गया चुनाव बता रहा है - 27 निर्वाचन क्षेत्रों में 5,000 से कम मतों से, 18 सीटों पर 3,000 से कम मतों से और छह सीटों पर 1,000 से कम मतों के अंतर से हार गया।
2003 में भी एक महीने में हुआ था एसआईआर
विपक्षी दलों की आपत्तियों के बीच बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में नीतीश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि जब वर्ष 2003 में बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया हुई थी उस समय भी सिर्फ एक महीने में इसे किया गया था. उन्होंने सदन में कहा कि उस समय 15 जुलाई से एसआईआर हुआ था जो 14 अगस्त को खत्म हो गया था. चुनाव आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ काम कर रहा. यह कोई नयी बात नहीं है. गहन पुनरीक्षण प्रत्येक 20 से 22 वर्षों के बीच होता है. हमलोगों ने तो घर-घर जाकर जाति आधारित सर्वे का काम केवल 15 दिनों में पूरा कर लिया था.
1 अगस्त से लेंगे आपत्तियां
चुनाव आयोग ने कहा है कि यदि एक अगस्त को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में किसी का नाम छूट गया है या नाम गलत जुड़ गया है तो राजनीतिक दल और जागरूक मतदाता आपत्ति दर्ज करा सकते है. आयोग की ओर से बिहार के सभी 12 राजनीतिक दलों को इसकी प्रिटेंड और डिजिटल प्रति दी जाएगी. साथ ही इस प्रारूप मतदाता सूची को वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाएगा. बिहार 12 राजनीतिक दलों में शामिल हैं, जिसमें बहुजन समाज पार्टी, भाजपा, कांग्रेस, राजद, जदयू, भाकपा (माले), भाकपा (माकपा), एनपीपी, लोजपा (रामविलास), रालोसपा, रालोजपा, आम आदमी पार्टी हैं.