Bihar Police:अपराध के आंकड़ों पर भिड़े तेजस्वी और बिहार पुलिस,आंकड़ों पर गरमा-गरमी, हकीकत और इल्ज़ाम में टकराव
Bihar Police: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के इल्ज़ामात को पूरी तरह खारिज करते हुए बिहार पुलिस ने जवाबी वार किया।
Bihar Police: बिहार की सियासत में एक बार फिर तकरार का नया मोर्चा खुल गया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए सूबे में हाल ही में घटी 17 आपराधिक वारदातों का ज़िक्र कर सरकार पर सीधा हमला बोला। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि बिहार में अपराध बेलगाम हो चुका है और प्रशासन पूरी तरह नाकाम है।
मगर बिहार पुलिस ने इन इल्ज़ामात को पूरी तरह खारिज करते हुए जवाबी वार किया। पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि जिन घटनाओं का हवाला नेता प्रतिपक्ष ने दिया है, उनमें से कई का वास्तविक घटनाओं से कोई मेल नहीं है। प्रवक्ता ने आंकड़ों के साथ दावा किया कि जनवरी से जून 2024 तक राज्य के विभिन्न न्यायालयों में 46,616 मामलों में 64,098 आरोपियों को सज़ा दिलाई गई, जिनमें मौत की सज़ा, उम्रकैद और दस साल से अधिक की सजाएँ शामिल हैं।
मोतिहारी में व्यापारी के बेटे नीरज की हत्या के मामले में 6 नामजद आरोपियों को दबोच लिया गया। पटना के खगौल थाना क्षेत्र में पिता-पुत्र के अपहरण और हत्या में पाँच आरोपी गिरफ्तार और एक ने अदालत में आत्मसमर्पण किया। समस्तीपुर के शिवाजी नगर थाना इलाके में गुड़िया कुमारी की हत्या की जाँच एफएसएल और डीआईयू की टीमें कर रही हैं।
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि मुज़फ्फरपुर के पारू थाना में बरामद युवक के शव पर चाकू से गला रेतने के निशान मिले, जबकि नेता प्रतिपक्ष ने गोली मारकर हत्या का दावा किया था।
सीतामढ़ी, नालंदा, गया, सुपौल, कैमूर, सीवान और दरभंगा की अलग-अलग वारदातों में पुलिस या तो आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है या फिर लगातार छापेमारी कर रही है। कई मामलों में प्रेम-प्रसंग, रंगदारी और आपसी रंजिश जैसे कारण सामने आए हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने दो टूक कहाकि “हमने हर बड़ी-छोटी वारदात को गंभीरता से लिया है, दोषियों की पहचान कर गिरफ्तारी की है और न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिये सज़ा भी दिलवाई है। कुछ मामलों का तारतम्य तथ्यों से अलग पेश करना महज़ सियासी बयानबाज़ी है।”
तेजस्वी यादव के ये आरोप विधानसभा में विपक्षी तेवरों को और धार देने वाले हैं, वहीं पुलिस का विस्तृत जवाब सरकार के बचाव में ढाल का काम करेगा। अपराध और क़ानून-व्यवस्था का मुद्दा, बिहार की राजनीति में हमेशा से ही सबसे संवेदनशील और वोट प्रभावित करने वाला रहा है।
एक तरफ़ विपक्ष लगातार “जंगलराज” की वापसी का शोर मचा रहा है, तो दूसरी तरफ़ प्रशासन अपनी कार्रवाई के आंकड़े पेश कर यह साबित करने में जुटा है कि “क़ानून के हाथ लंबे हैं, चाहे अपराधी कितना ही ताकतवर क्यों न हो।”