Bihar politics:निशांत कुमार की सियासी दस्तक पर तेजस्वी का तंज, कहा-पूजा पार्टी वालों ने कर रखी है सियासत में बंदिश , राजनीति का कुचक्र या सत्ता की षड़यंत्र?

Bihar politics:जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव क़रीब आते जा रहे हैं, सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हैं कि क्या निशांत राजनीति के मैदान में उतरेंगे या उन्हें किसी ‘साज़िश’ के तहत रोका जा रहा है।...

निशांत कुमार की सियासी दस्तक पर तेजस्वी का तंज- फोटो : social Media

Bihar politics:बिहार की सियासी फ़ज़ा में इन दिनों एक नया नाम गूंज रहा है — निशांत कुमार, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे हैं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव क़रीब आते जा रहे हैं, सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हैं कि क्या निशांत राजनीति के मैदान में उतरेंगे या उन्हें किसी ‘साज़िश’ के तहत रोका जा रहा है।हाल ही में जेडीयू  के एक सांसद ने सार्वजनिक तौर पर नालंदा से निशांत को चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। इसके बाद विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने प्रेस को संबोधित करते हुए एक कड़ा बयान दिया है, जो सत्ता के गलियारों में हलचल मचा रहा है।

तेजस्वी यादव का दावा है कि मुख्यमंत्री के बेटे को खुद उनकी पार्टी के लोग ही राजनीति में आने से रोक रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि निशांत आना चाहते हैं राजनीति में, लेकिन ‘पूजा पार्टी’ वाले लोग उन्हें असहज कर रहे हैं। ये वही लोग हैं, जिन्होंने अपने बच्चों और रिश्तेदारों को सत्ता में सेट कर लिया है। अब जब निशांत की इच्छा है तो उन्हें साज़िश के तहत रोका जा रहा है।तेजस्वी ने इसे सीधा-सपाट ‘सत्ता का षड्यंत्र’ करार देते हुए कहा कि कुछ लोग मुख्यमंत्री की ‘अचेत अवस्था’ का लाभ उठा रहे हैं।तेजस्वी ने आगे कहा कि जनता दल यूनाइटेड के ही मंत्री कह रहे हैं कि RSS कोटा होता है। तो हमें बताया जाए कि बिहार में कितने लोग इस कोटे से सेट किए गए हैं? कौन-कौन हैं? मुख्यमंत्री को इस पर खुलकर जवाब देना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जेडीयू नेताओं संजय झा और अशोक चौधरी पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि इन लोगों ने तो अपने बच्चों को फिक्स कर दिया है, अब जब मुख्यमंत्री का बेटा आना चाहता है, तो इन्हीं लोगों को तकलीफ़ होने लगी है।तेजस्वी ने इस पूरी स्थिति को एक ‘ईश्वरीय वरदान’ के तौर पर भोगे जा रहे सत्ता सुख से जोड़ा। उन्होंने कहा कि “इन लोगों को लगता है कि मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं, इसलिए इन्हें सत्ता स्वत: प्राप्त हो गई है। ये लोग मलाई खा रहे हैं और रेवड़ियां बांट रहे हैं। यही हो रहा है बिहार में।”

बहरहाल इस पूरे बयानबाजी और विवाद के बीच एक सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहा है  कि क्या निशांत कुमार वाकई राजनीति में उतरेंगे या उन्हें सचमुच एक साजिश का शिकार बनाया जा रहा है? आने वाले चुनावी मौसम में इसका जवाब सामने आ सकता है, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में अब पारिवारिक उत्तराधिकार और अंदरूनी खींचतान दोनों ही मुद्दे बनते जा रहे हैं।