voter-list-revision - बिहार इलेक्शन से दो महीने पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण के विरोध में उतरा महागठबंधन, पूछा - 22 साल बाद अचानक क्यों लिया फैसला
Patna - मतदाता सूची पुनरीक्षण को ले महागठबंधन ने नाराजगी जाहिर की है। आज तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान का मजाक बनाए जा रहा है। बिहार में दो महीने बाद चुनाव होने हैं. उससे ठीक पहले आठ करोड़ लोगों का 25 दिन के अंदर नया वोटर बनाया जाएगा। सवाल यह है कि क्या यह संभव है। इनमें ऐसे ऐसे डॉक्यूमेंट मांगे गए हैं, जो गरीबों के पास नहीं हो।
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा वह चाहते हैं कि वोटर लिस्ट में गरीबों का नाम काट दिया जाए। ताकि उन्हें उनके अधिकार से वंचित कर दिया जाए। लालू जी कहते हैं कि वोट का राज, मतलब छोट का राज। नीतीश सरकार गरीबों के अधिकार को खत्म करना चाहती है।
22 वर्षों के बाद क्यों जरुरत पड़ी
तेजस्वी ने कहा कि 22 साल बाद विशेष गहन पुनरीक्षण की जरुरत क्यों आई। क्या गिनती के दिनों में यह संभव है। तेजस्वी ने 22 साल पहले जब विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था, उसमें दो साल का समय लगा था। अब केवल बिहार में यह काम कराया जा रहा है। सवाल यह है कि जिस कार्य में दो साल लगे थे। उसे सिर्फ चुनाव आयोग में 25 दिन में कैसे पूरा किया जा सकता है।
सवालों के घेरे में चुनाव आयोग
तेजस्वी ने कहा कि अभी मानसून का समय है। जिसमें बिहार के 73 फीसदी आबादी बाढ़ से प्रभावित रहती है। सवाल यह है कि लोग अपनी जान माल बचाएंगे, उस समय चुनाव आयोग को कागज ढूंढ कर देंगे।
बिना मतदाता सूची के बीईओ का कार्य शुरू कराया गया
तेजस्वी ने कहा कि आज से 90 फीसदी बीईओ को आज से मतदाता पुनरीक्षण का काम शुरू करा दिया गया। हैरानी की बात यह है कि उनके पास 2003 की मतदाता सूचि भी उपलब्ध नहीं करायी गई है। सरकार की साजिश है कि गरीबों को उनके अधिकार से वंचित किया जाए।
तेजस्वी ने कहा कि वह आधार कार्ड और मनरेगा कार्ड को वैध नहीं मानते हैं।