Bihar EPS pension hike: बुज़ुर्ग पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन , महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी पर क्यों हो रही है देरी, पेंशनर्स की उम्मीदें कब तक होंगी पूरी, जीनिए सब कुछ

बुज़ुर्ग पेंशनर्स की मांग है कि न्यनतम पेंशन बढ़े, महंगाई भत्ता मिले, फैमिली पेंशन का दायरा बढ़े और इलाज के लिए मुफ्त मेडिकल सुविधा दी जाए. बढ़ती महंगाई, दवाइयों के आसमान छूते दाम और रोज़मर्रा की ज़रूरतों ने हज़ार रुपये की पेंशन को मज़ाक बनाकर रख दि

बुज़ुर्ग पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन , महंगाई भत्ता में बढ़ोत्तरी पर क्यों हो रही है देरी,- फोटो : social Media

Bihar EPS pension hike:  देश के लाखों EPS-95 पेंशनर्स की ज़िंदगी आजकल एक ही सवाल के इर्द-गिर्द घूम रही है क्या हज़ार रुपये की पेंशन में इंसानी ज़िंदगी का पहिया चल सकता है? पिछले कई सालों से ये बुज़ुर्ग पेंशनर्स सरकार के दरवाज़े पर दस्तक दे रहे हैं, कभी अर्ज़ी बनकर, कभी आंदोलन की सूरत में. उनकी मांग सीधी है लेकिन दर्द गहरा न्यनतम पेंशन बढ़े, महंगाई भत्ता मिले, फैमिली पेंशन का दायरा बढ़े और इलाज के लिए मुफ्त मेडिकल सुविधा दी जाए. बढ़ती महंगाई, दवाइयों के आसमान छूते दाम और रोज़मर्रा की ज़रूरतों ने हज़ार रुपये की पेंशन को मज़ाक बनाकर रख दिया है.

हाल ही में संसद के पटल पर यह मसला फिर गूंजा. लोकसभा में एक सांसद ने सरकार से तल्ख़ लहजे में सवाल किया कि EPS के तहत न्यूनतम पेंशन बढ़ाने में आख़िर इतनी देरी क्यों हो रही है और सुप्रीम कोर्ट के पेंशन फिक्सेशन से जुड़े हुक्मनामा पर अमल क्यों लटका हुआ है. जवाब में श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने अपने दामन पर लगे सवालों का हिसाब-किताब पेश किया. सरकार ने बताया कि EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये साल 2014 में तय की गई थी और उस वक्त़ बजटीय मदद देकर यह यक़ीन किया गया था कि कोई पेंशनर इससे कम न पाए. मगर इसके बाद महंगाई का जिन्न बोतल से बाहर आ गया और पेंशन वहीं की वहीं ठहरी रह गई. न इसे DA से जोड़ा गया, न ही कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स से.

मंत्रालय ने EPS पेंशन फंड की बनावट भी समझाई. यह एक सोशल सिक्योरिटी स्कीम है जो जमा फंड पर ही टिकी है. कर्मचारी की सैलरी का 8.33 फ़ीसदी हिस्सा नियोक्ता देता है और सरकार 1.16 फ़ीसदी योगदान करती है, वह भी अधिकतम 15,000 रुपये की सैलरी तक. इसी फंड से पेंशन और तमाम लाभ दिए जाते हैं. सरकार का दावा है कि इस फंड में भारी एक्चुरियल डेफिसिट है और 31 मार्च 2019 तक के आंकड़े बताते हैं कि इतनी बड़ी पेंशन बढ़ोतरी या DA देना मुमकिन नहीं.

एक हाई लेवल कमेटी ने भी DA जोड़ने की मांग को मौजूदा हालात में गैर-व्यावहारिक करार दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर अमल की प्रक्रिया ज़रूर चल रही है, ऑनलाइन आवेदन आए हैं, जांच-पड़ताल जारी है, लेकिन EPS पेंशन को 7,500 रुपये करने, DA देने या मेडिकल सुविधा जोड़ने पर कोई वक़्ती नक़्शा सामने नहीं आया. नतीजा यह है कि EPS-95 पेंशनर्स आज भी इंतज़ार की कतार में खड़े हैं—उम्मीदों का दिया जलाए, लेकिन राहत की रौशनी से अब भी दूर.