Nitish launch his Son Nishant बिहार की राजनीति में पुत्र निशांत को लॉन्च करने की तैयारी में CM नीतीश,जेडीयू को बचाने का यह अंतिम हथियार,लालू से लड़ाई- मिलेगी धार
बिहार की राजनीति में युवा नेताओं का दबदबा बढ़ रहा है। तेजस्वी यादव जैसे नेता पहले से ही मजबूत स्थिति में हैं। ऐसे में निशांत कुमार का राजनीति में आना जेडीयू के लिए अमोघ अस्त्र साबित हो सकता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इकलौते बेटे सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं। निशांत कुमार आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आते हैं। उन्हें बेहद कम अवसरों पर सार्वजनिक तौर पर पिता नीतीश कुमार के साथ देखा गया है।सीएम नीतीश कुमार हाल ही में अपने बेटे निशांत को लेकर हरियाणा गए थे। इसके बाद निशांत को कुछ नेता बिहार का भविष्य बताने लगे। जदयू में पहले ही मांग उठाई गई थी कि निशांत कुमार को पार्टी का कोई पद दिया जाए। इधर पिछले कुछ हफ्तों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि 73 वर्षीय नीतीश कुमार 'पार्टी के अंदर उठ रही मांगों' पर सहमत हो सकते हैं। इसके बाद निशांत औपचारिक रूप से जदयू में शामिल हो जाएंगे। जदयू के पास दूसरे पंक्ति का नेतृत्व नहीं है, जो सुप्रीमो नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद उनकी जगह ले सके।
जनता दल यूनाइटेड को मजबूत रखने के लिए नए नेतृत्व की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में, जेडीयू ने कई चुनौतियों का सामना किया है, विशेषकर लालू यादव और तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं से। ऐसे में, यदि नीतीश अपने बेटे को राजनीति में लाते हैं, तो यह जेडीयू के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।जेडीयू को बचाने का यह अंतिम हथियार नीतीश के पास है दिससे लालू से लड़ाई धार तो मिलेगी हीं, जदयू भी मजबूती से आगे भड़ सकता है।
निशांत के राजनीति में इंट्री के कयास ने तब तूल पकड़ा था जब राज्य खाद्य आयोग के प्रमुख विद्यानंद विकल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली। राज्य खाद्य आयोग के प्रमुख विद्यानंद विकल ने लिखा था कि बिहार को नए राजनीतिक परिदृश्य में युवा नेतृत्व की जरूरत है। निशांत कुमार में सभी अपेक्षित गुण हैं। मैं जद(यू) के कई साथियों की राय से सहमत हूं कि वे पहल करें और राजनीति में सक्रिय हों।'
बिहार की राजनीति में युवा नेताओं का दबदबा बढ़ रहा है। तेजस्वी यादव जैसे नेता से प्रतिस्पर्धा करने के लिए जदयू को युवा चेहेरे की जरुरत है, ऐसे में निशांत कुमार का राजनीति में आना जनता दल यूनाइटेड को मजबूत रखने के लिए नए नेतृत्व की आवश्यकता हो सकती है।नीतीश ने अपने बेटे निशांत को राजनीति में उतार दिया तो तेजस्वी की राह कठिन हो सकती है। ऐसे में लालू यादव का जवाब नीतीश कुमार देते रहेंगे और तेजस्वी के युवा जोश की काट निशांत कुमार के पास होगी। तेजस्वी यादव 9वीं फेल हैं, जबकि निशांत अपने पिता की तरह इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल किए हुए हैं। इसका उन्हें लाभ भी मिलेगा।
हालाकि नीतीश कुमार ने हमेशा परिवारवाद का विरोध किया है और अपने परिवार के किसी सदस्य को राजनीति में नहीं आने दिया। लेकिन अब जब वह खुद इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो जदयू में हो रही मांगों' पर सहमत हो सकते हैं। एक दूसरा कारण है ये हो सकता है कि जदयू के पास दूसरे पंक्ति का नेतृत्व नहीं है, जो सुप्रीमो नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद उनकी जगह ले सके। निशांत के लांचिग से यह कमि पूरी हो सकती है।
राजनीतिक गलियारों में कया तेज है कि नीतीश कुमार इस विधानसभा चुनाव में अपने बेटे को लॉन्च कर सकते हैं। कुछ राजनीतिक पंडित इसे नीतीश कुमार की विरासत का स्वाभाविक विस्तार मानते हैं जबकि अन्य राजनीतिक विशलेषक इसे परिवारवाद का एक उदाहरण मानते हैं। जो भी हो निशांत की सादगी और ईमानदारी की चर्चा तो हमेशा होती ही है।जेडीयू के कुछ नेताओं ने पहले ही मांग उठाई है कि निशांत कुमार को पार्टी का कोई पद दिया जाए।
बहरहाल नीतीश कुमार अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं, जो उनके लिए एक मजबूरी भी बन चुकी है और भविष्य के लिए आवश्यक भी।