BIHAR POLITICS - सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और मानसिक रूप से दलित-पिछड़ों का शारीरिक शोषण रोका तो मुझे ‘खलनायक’ बना दिया – लालू प्रसाद
BIHAR POLITICS - BJP, RSS जैसे संगठनों पर लालू प्रसाद ने बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि इन जैसे विषैले संगठनों के कारण आज सामाजिक न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता की इस लड़ाई को बड़ी चालाकी तथा महीन तरीके से कमजोर कर रही है।
PATNA - सामंती व्यवस्था में शोषक लोग दलित-पिछड़ी जाति के लोगों का सामाजिक,राजनीतिक, आर्थिक और मानसिक से लेकर शारीरिक शोषण भी करते थे। मैंने उसे रोका तो चंद लोगों के लिए खलनायक बन गया। यह बातें गरीबों के मसीहा कहे जानेवाले राजद सुप्रीमो ने कही।
अपने ट्विटर हैंडल पर तब और वर्तमान की राजनीतिक स्थिति पर उन्होंने लंबे पोस्ट में लिखा कि लेकिन आज कल कुछ RSS जैसे विषैले संगठन और BJP जैसी धूर्त पार्टियां सामाजिक और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई को कमजोर कर रही है। जिनसे मेरी लड़ाई आज भी जारी है। अपने पोस्ट में लालू प्रसाद ने बताया कि पासी समाज से वसूला जानेवाला ताड़ी टैक्स उन्होंने खत्म किया था।
लालू प्रसाद ने अपने पोस्ट में लिखा
कल महाराजा बिजली पासी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। पासी समाज के लिए हमने बहुत कुछ किया है। पहले ताड़ के पेड़ों से ताड़ी उतारने के लिए लोगों को टैक्स देना होता था। सरकार की ओर से ताड़ी टैक्स वसूला जाता था। मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद मैंने पासी भाईयों के लिए सदियों से चले आ रहे ताड़ी टैक्स (Palm Tree Tax) को माफ किया था।
मुझे स्मरण है 1990-91 में एक दफ़ा सभा में उपस्थित पासी भाइयों से मैंने पूछा कि, ”पासी भाई दिखाएं कि ताड़ के पेड़ पर चढ़ने से उनके करेजा पर घट्ठा पड़ा है कि नहीं। (घट्ठा - त्वचा के ऊपर ऐसा घाव होता है जिसमें कुछ दूर तक चमड़ी कड़ी और काली हो जाती है)
मैंने कहा कि, ”करेजा पर घट्ठा होई त देखावे के परी”। फिर क्या था भीड़ में शामिल पासी समाज के लोग कुर्ता- कमीज का बटन खोलने की बजाय सीधे फाड़ कर दिखाने लगे कि, “देखीं साहेब, हमरो करेजा पर घट्ठा बा”
पहले की सामंती व्यवस्था में शोषक लोग दलित-पिछड़ी जाति के लोगों का सामाजिक,राजनीतिक, आर्थिक और मानसिक से लेकर शारीरिक शोषण भी करते थे। मैंने उसे रोका तो चंद लोगों के लिए खलनायक बन गया। मुझे अपदस्थ एवं मेरा चरित्र हनन करने के लिए विभिन्न माध्यमों से नित नए-नए प्रपंच करने लगे। मुझे जोकर, गँवार और जंगलराज के जंगली की संज्ञा दी गयी लेकिन मैं कहाँ डरने वालों में से था और हूँ। अभी तक इन ताक़तों से लड़ रहा हूँ।
पिछड़ी, गरीब और वंचित जातियों के लोग जब सत्ता शीर्ष पर पहुंचते है तो वंचित, उत्पीड़ित और उपहासित वर्गों के सामाजिक,राजनीतिक,शारीरिक और आर्थिक दुःख-तकलीफ़ को दूर करते है लेकिन आज कल कुछ RSS जैसे विषैले संगठन और BJP जैसी धूर्त पार्टियां मुखौटों व प्रतीकों का प्रयोग कर प्रतीकात्मक संदेशों के ज़रिए सामाजिक न्याय, समानता और धर्मनिरपेक्षता की इस लड़ाई को बड़ी चालाकी तथा महीन तरीके से कमजोर कर रही है।
अपनी विचारधारा और सिद्धांतों की तिलांजलि देकर चंद स्वार्थी लोग इनके चंगुल में फंस भी जाते है। यह सामाजिक न्याय की राजनीति तथा दलित/आदिवासी और पिछड़े वर्गों का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक उभार ही है जिसके चलते BJP/RSS और NDA के लोग अब लोकतंत्र को कमजोर करने, संविधान बदलने, बाबा साहेब अंबेडकर को अपमानित कर आरक्षण खत्म करने जैसे दीर्घकालिक योजना पर कार्य कर रहे है।
दलितों-आदिवासियों और पिछड़ों चेतो और जागो!