Bihar Politics:विधायक का बेटा और सरकारी बॉडीगार्ड, सत्ता का नशा, सिस्टम का दुरुपयोग, राजनीति में सेवा नहीं, सेल्फ़ी कल्चर हावी! यकीन न हो तो आप भी देख लीजिए तस्वीर
विधायक का पद मिलते ही पूरा परिवार वीआईपी मोड में एक्टिव हो जाता है कभी सरकारी कार, कभी सरकारी गार्ड, तो कभी सरकार के नाम पर शक्ति-प्रदर्शन! यह वंशवाद की राजनीति का एक और ताजा, चमकदार और चुभने वाला उदाहरण है।
Bihar Politics:आज की राजनीति वह नहीं रह गई, जहां नेता जनसेवा के जज्जे के साथ मैदान में उतरते थे। अब राजनीति धीरे-धीरे सत्ता सुख, रुतबा और दिखावे का अड्डा बनती जा रही है। हालात ऐसे कि नेता नहीं, उनके परिवार वाले भी खुद को किसी स्पेशल कैटेगरी से कम नहीं समझते। पद मिलते ही पूरा कुनबा वीआईपी मोड में एक्टिव हो जाता है कभी सरकारी कार, कभी सरकारी गार्ड, तो कभी सरकार के नाम पर शक्ति-प्रदर्शन। यह वंशवाद की राजनीति का एक और ताजा, चमकदार और चुभने वाला उदाहरण है।
इसी कड़ी में डेहरी से नवनिर्वाचित विधायक राजीव रंजन उर्फ़ सोनू सिंह के बेटे की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रही है। तस्वीर में उनका बेटा सौरभ सिंह, शादी समारोह में सरकारी बॉडीगार्ड के साथ ऐसे घूम रहा है, जैसे यह सुरक्षा नहीं बल्कि कोई उपलब्धि का मेडल हो। तस्वीर वायरल होते ही जिले में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा गणित सवालों में घिर गया।
सबसे बड़ा सवाल सीधा और चुभता हुआ कि जब विधायक खुद शादी समारोह में मौजूद ही नहीं थे, तो उनके बेटे को यह सरकारी सुरक्षा कैसे और किस आदेश पर मिली? क्या यह नियमों का उल्लंघन है? क्या यह प्रभाव का दुरुपयोग है? या फिर सत्ता की आदत बन चुकी “सरकारी व्यवस्था की निजी ब्रांडिंग”?
वहीँ दूसरी ओर, आज के एआई जनरेशन के समय में तस्वीर की प्रामाणिकता भी पूरी तरह प्रमाणित नहीं कही जा सकती। लेकिन तस्वीर की मौजूदगी और वायरल स्पीड ने इतना तो साफ़ कर दिया कि जनता के मन में भरोसा टूट रहा है और राजनीति को लेकर नाराज़गी बढ़ रही है।
वायरल फोटो पर जिला राजद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि सरकारी सुरक्षा सिर्फ जनप्रतिनिधि के लिए होती है, न कि उनके बेटे के शो-ऑफ़ के लिए। यह सरकारी संसाधनों की निजी होड़ बन चुकी है। राजद नेताओं ने इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल का खुला उल्लंघन और जनता के पैसे पर निजी रौब दिखाने की प्रवृत्ति बताया।
मामले पर विधायक राजीव रंजन उर्फ़ सोनू सिंह से संपर्क करने की कोशिश भी हुई। फोन नहीं उठा। व्हाट्सऐप पर संदेश भेजा गया, लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
यह घटना बताती है कि राजनीति में आज सेवा पीछे छूट रही है और स्टेटस आगे दौड़ रहा है। जनता पूछ रही है कि क्या राजनीति जनता के लिए है, या नेताओं और उनके परिवारों के लिए बने नए-नवेले सुविधाओं के साम्राज्य के लिए?
रिपोर्ट- रंजन सिंह राजपूत