Bihar News : अशोक धाम को मिली करोड़ों की सौगात, डिप्टी सीएम ने शिव भक्तों की बहुप्रतीक्षित मांग को किया पूरा, इन सुविधाओं का होगा विकास
अशोक धाम को लेकर कहा जाता है कि यह स्थान 8वीं शताब्दी से पूजा का केंद्र रहा है। पाल साम्राज्य के छठे सम्राट नारायण पाल ने आठवीं शताब्दी में शिवलिंग की नियमित पूजा की शुरुआत की थी।
Bihar News : बिहार के प्रमुख शिव मंदिरों में एक अशोक धाम को पर्यटन विभाग द्वारा बड़ी सौगात मिली है. पर्यटन विभाग द्वारा लखीसराय के अशोक धाम में शिवगंगा तालाब के विकास एवं सौन्दर्यीकरण कार्य हेतु 14 करोड़ 3 लाख 59 हजार रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति मिली है. बिहार के पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा ने इसे लेकर कहा कि इस योजना को बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आगामी 18 माह में पूर्ण किया जायेगा.
मिश्रा ने कहा कि बिहार के उपमुख्यमंत्री सह लखीसराय के माननीय विधायक विजय कुमार सिन्हा के सुझाव पर पर्यटन विभाग द्वारा लखीसराय जिलान्तर्गत अशोक धाम में शिवगंगा तालाब के विकास एवं सौन्दर्याकरण कार्य हेतु चौदह करोड़ तीन लाख उनसठ हजार की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई है. इस योजना के अन्तर्गत शिवगंगा तालाब का विकास एवं घाट का विकास व सौन्दर्याकरण इत्यादि कार्य किया जाना प्रस्तावित है. इस योजना को बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा आगामी 18 माह में पूर्ण किया जायेगा.
अशोक धाम का इतिहास :
अशोक धाम को लेकर कहा जाता है कि यह स्थान 8वीं शताब्दी से पूजा का केंद्र रहा है। पाल साम्राज्य के छठे सम्राट नारायण पाल ने आठवीं शताब्दी में शिवलिंग की नियमित पूजा की शुरुआत की थी। 12वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न द्वारा इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कराया गया था। कहा जाता है कि मंदिर को तोड़ दिया गया था और कई सालों तक जमीन के ऊपर कोई अवशेष नहीं था। 7 अप्रैल 1977 को, अशोक और गजानन्द नाम के दो लड़कों को एक पारंपरिक गिल्ली-डंडा खेल खेलते हुए जमीन के नीचे विशालकाय शिवलिंगम की खोज की गई थी। 11 फरवरी 1993 को, जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य ने मंदिर परिसर के पुनर्गठन का उद्घाटन किया। वर्तमान मंदिर परिसर भवन 15 नवंबर 2002 को श्री इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के तहत शुरू हुआ.
सावन में जुटते हैं लाखों शिव भक्त :
अशोक धाम में सावन के महीने में हर वर्ष लाखों की संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक को लेकर जुटते हैं. बिहार के कोने कोने से लाखों लोग सोमवारी के दिन इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ को जलार्पण करने आते हैं. हालाँकि पूरे वर्ष यहाँ भक्तिमय माहौल रहता है. शादी, मुंडन, जेनऊ, उपनयन जैसे विधान हजारों की संख्या में अशोक धाम परिसर में होता है.
कमलेश की रिपोर्ट