महंगाई के असमान असर का खुलासा: केरल में सबसे ज्यादा, तेलंगाना में सबसे कम – क्या है इसके पीछे का कारण?

भारत में महंगाई दर में गिरावट तो आई है, लेकिन यह किसी भी तरह से एक समान नहीं है। केरल जैसे राज्य अभी भी महंगाई के उच्च दबाव से जूझ रहे हैं, जबकि तेलंगाना जैसे राज्य अपेक्षाकृत राहत का अनुभव कर रहे हैं।

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india me mehngai dar- फोटो : Social Media

भारत में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) में गिरावट के बावजूद, देश के विभिन्न हिस्सों में महंगाई का असर अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) के ताजे आंकड़े यह चौंकाने वाला खुलासा करते हैं कि फरवरी महीने में केरल में महंगाई दर सबसे अधिक रही, जबकि तेलंगाना में यह दर सबसे कम रही। इस असमानता से यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्यों कुछ राज्यों में महंगाई का दबाव अब भी बना हुआ है, जबकि अन्य क्षेत्रों में राहत मिल रही है।

केरल में महंगाई का दबाव: 7.3% तक पहुंची दर

फरवरी में केरल में महंगाई दर 7.3 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो देश के अन्य हिस्सों से कहीं ज्यादा थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ में 4.9 प्रतिशत के साथ महंगाई दूसरी सबसे उच्च दर रही। वहीं, कर्नाटका, बिहार और जम्मू-कश्मीर में भी महंगाई 4 प्रतिशत से ऊपर रही। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि कुछ बड़े राज्य अब भी महंगाई के प्रभाव से जूझ रहे हैं, खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के कारण।

तेलंगाना में महंगाई में कमी: 1.3% पर टिकी दर

इसके विपरीत, तेलंगाना वह राज्य है जहां महंगाई दर सबसे कम रही, मात्र 1.3 प्रतिशत। तेलंगाना के बाद दिल्ली में 1.5 प्रतिशत और आंध्र प्रदेश में 2.4 प्रतिशत की दरें रही। इन राज्यों में महंगाई का दबाव काफी कम रहा और यहां के निवासियों को अपेक्षाकृत राहत मिल रही है। यह आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि महंगाई दर का प्रभाव सिर्फ बड़े राज्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि छोटे राज्यों में भी इसका असर एकदम अलग देखने को मिलता है।

महंगाई दर में देशभर में गिरावट: 3.6% पर पहुंची रिटेल महंगाई

अगर पूरे देश की बात करें, तो फरवरी महीने में खुदरा महंगाई दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली। जनवरी में यह दर 4.3 प्रतिशत थी, जो फरवरी में घटकर 3.6 प्रतिशत पर आ गई। यह सात महीने में महंगाई का सबसे कम आंकड़ा है। खासकर खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में गिरावट के कारण महंगाई दर में यह कमी आई है, जिससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली है।

ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई अधिक: क्या है इसका कारण?

हालांकि, एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई शहरी क्षेत्रों की तुलना में कहीं ज्यादा रही। एसबीआई के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, सौम्य कांति घोष ने बताया कि फरवरी में 12 राज्यों में ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर औसत से अधिक रही। इसके पीछे का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी है, जो खासकर ग्रामीण इलाकों में अधिक असर डाल रही है।

रिजर्व बैंक की नीतियों पर असर: ब्याज दरों में कटौती की संभावना

फरवरी के महंगाई आंकड़ों से यह साफ है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की नीतियों पर इसका सीधा असर पड़ने वाला है। महंगाई दर में आई इस गिरावट के चलते अप्रैल में होने वाली रिजर्व बैंक की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है। इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि ब्याज दरों में और कमी आ सकती है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत का कारण बन सकता है, खासकर महंगी ईएमआई से जूझ रहे लोगों के लिए।

क्या है इस असमान महंगाई के पीछे का कारण?

तो, सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों महंगाई का असर अलग-अलग राज्यों में इतना असमान है? इसके पीछे मुख्य कारण खाद्य वस्तुओं की कीमतों में भिन्नता हो सकती है। उदाहरण के लिए, केरल जैसे राज्य में जहां बारिश के कारण उत्पादन में कमी आई हो, वहां खाद्य पदार्थों की कीमतें अधिक हो सकती हैं, वहीं तेलंगाना जैसे राज्यों में बेहतर कृषि उत्पादन और कम मौसमीय उतार-चढ़ाव के कारण कीमतों में स्थिरता बनी रहती है।

वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई अधिक होने का कारण यह है कि यहां ज्यादातर लोग कृषि कार्यों पर निर्भर होते हैं और खाद्य वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतें उनके जीवनयापन को प्रभावित करती हैं।

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