Delhi blast: बाबरी बरसी पर 26/11 जैसा हमला करने की साज़िश के खुलासे से हड़कंप, दिल्ली को दहलाने की साजिश बेनक़ाब, तुर्किये कनेक्शन से खुली दहशतगर्दी की नई फाइल

Delhi blast: दिल्ली में होने वाले सिलसिलेवार बम धमाकों की साज़िश ने पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिला कर रख दिया है।

बाबरी बरसी पर 26/11 जैसा हमला करने की साज़िश के खुलासे से हड़कंप- फोटो : social Media

Delhi blast: दिल्ली में होने वाले सिलसिलेवार बम धमाकों की साज़िश ने पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिला कर रख दिया है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक़, आठ संदिग्धों ने चार शहरों में एक साथ धमाके करने की घिनौनी प्लानिंग की थी। ये सभी दो-दो के ग्रुप में अलग-अलग लोकेशन पर पहुंचकर तबाही फैलाने वाले थे। हर ग्रुप के पास कई IED मौजूद थी, जिनका इस्तेमाल भीड़भाड़ वाले इलाक़ों में किया जाना था।

ख़ुफ़िया रिपोर्ट में सनसनीखेज़ खुलासा हुआ है कि लाल किला विस्फोट के आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील, उमर और शाहीन ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये नकद जुटाए, जिनमें से उमर को तीन लाख रुपये देकर NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम) उर्वरक ख़रीदने की ज़िम्मेदारी दी गई। गुरुग्राम और नूंह से यह ख़तरनाक केमिकल मंगवाया गया ताकि IED तैयार किए जा सकें। इसी बीच, पैसों के बंटवारे को लेकर उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच तनातनी भी हुई थी।

एजेंसी को मिली जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर उमर 6 दिसंबर, यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन दिल्ली में 26/11 जैसी तबाही मचाने की फिराक़ में था। साजिश के तहत लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर जैसे संवेदनशील ठिकाने निशाने पर थे। देश के कई रेलवे स्टेशन और शॉपिंग मॉल्स को भी उड़ाने की प्लानिंग थी।

पूछताछ में सामने आया कि उमर ने सिग्नल ऐप पर एक प्राइवेट ग्रुप बनाया था, जिसमें सिर्फ 2 से 4 सदस्य एक्टिव थे। यहीं से सारे प्लान और मूवमेंट तय किए जा रहे थे। एजेंसियों को शक है कि मुजम्मिल और उमर का तुर्किये से डायरेक्ट लिंक था। मुजम्मिल के मोबाइल डाटा से पता चला कि जनवरी के पहले हफ़्ते में वह कई बार लाल क़िला क्षेत्र में मौजूद था — यानी शायद किसी विदेशी हैंडलर से मुलाक़ात हुई थी।

फिलहाल दोनों डॉक्टर एजेंसी की रडार पर हैं और उनके डिजिटल फुटप्रिंट खंगाले जा रहे हैं। वहीं अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने सफाई दी है कि गिरफ्तार डॉक्टरों से उसका केवल “पेशेवर संबंध” है। लेकिन जांच एजेंसियां मान रही हैं कि यह मॉड्यूल अब तक का सबसे ख़तरनाक ‘स्लीपर नेटवर्क’ हो सकता है, जिसकी जड़ें देश के बाहर तक फैली हैं।