Devar bhabhi love:भाभी पर चढ़ा इश्क का बुखार, दुधमुहीं बच्ची को छोड़ देवर संग हुई फरार, इश्क के तीर से छलनी रिश्तों की दीवारें
जब इश्क़ का तीर दिल को भेदता है, तो अक्सर वह डोरें चटक कर बिखर जाती हैं। भाभी-देवर के बीच ऐसा प्रेम पनपा कि एक मासूम बच्चे की ममता भी पीछे छूट गई और...
Devar bhabhi love: समाज में रिश्तों को मर्यादा की डोर से बाँधा गया है। पर जब इश्क़ का तीर दिल को भेदता है, तो अक्सर वह डोरें चटक कर बिखर जाती हैं। बिहार के जमुई जिले से निकली एक ऐसी ही कहानी ने गांव-गांव में हड़कंप मचा दिया है। यहां भाभी-देवर के बीच ऐसा प्रेम पनपा कि एक मासूम बच्चे की ममता भी पीछे छूट गई और पति-पत्नी का बंधन भी सवालों के कटघरे में खड़ा हो गया।
जमुई के लछुआड़ थाना क्षेत्र के जाजल गांव की नेहा कुमारी, जिसकी शादी वर्ष 2023 में पवन कुमार से हुई थी, अचानक ही गांव की चर्चा का केंद्र बन गई। एक बच्ची की मां होते हुए भी वह अपने ही ममेरे देवर अंशु के साथ प्रेमजाल में इस कदर उलझी कि एक रात घर से चुपचाप फरार हो गई। पति पवन, जो तमिलनाडु में मजदूरी करता था, पहले ही इस रिश्ते की आहट पा चुका था। पत्नी को रोकने-टोकने की उसकी हर कोशिश नाकाम रही और आखिरकार वही हुआ, जिसका डर था।
पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर दोनों को शेखपुरा से बरामद किया। दिलचस्प यह कि गांव में चर्चा है, दोनों ने शादी भी कर ली, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। नेहा ने पुलिस को साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी मर्जी से अंशु के साथ गई थी, किसी ने उसका अपहरण नहीं किया। इधर पति पवन ने भी मामले को समाज और कानून के बीच संतुलित रखने की कोशिश की। पुलिस ने दोनों को थाने बुलाकर समझाया और आखिरकार पत्नी को पति के साथ भेज दिया गया।
लेकिन असली कहानी यहीं खत्म नहीं होती। यह घटना केवल एक प्रेम प्रसंग की सनसनीखेज दास्तान नहीं, बल्कि समाज के आईने में झांकती एक कड़वी हकीकत भी है। रिश्तों की मर्यादा, जिसे समाज सबसे ऊपर मानता है, वह जब निजी इच्छाओं की आँच में तपने लगती है, तो न सिर्फ परिवार की नींव हिलती है, बल्कि समाज का भरोसा भी डगमगाता है।
भाभी-देवर का रिश्ता भारतीय संस्कृति में हमेशा सम्मान और मर्यादा से जोड़ा गया है। मगर जब वही रिश्ता इश्क़ के रंग में रंग जाता है, तो परिणाम अक्सर विवाद, कलंक और कानूनी झंझटों के रूप में सामने आते हैं। गांव में लोग ताने कस रहे हैं, तो कुछ लोग इसे "समय की बदलती परिभाषा" मानकर कंधे उचकाते दिख रहे हैं।
जमुई का यह किस्सा इस बात की याद दिलाता है कि प्रेम और आकर्षण की बयार जब रिश्तों की चौखट लांघ जाती है, तो वह समाज के लिए सवाल और परिवार के लिए संकट बन जाती है। सवाल यह है कि क्या ऐसे मामलों को केवल "प्रेम प्रसंग" कहकर टाल देना चाहिए या फिर रिश्तों की उस मर्यादा पर गंभीर विमर्श होना चाहिए, जिसे आजकल भावनाओं का ज्वार बार-बार तोड़ रहा है।