Crime News:मेडिकल कॉलेज बना चूहा-खरगोश का बाज़ार:जानें कितने दाम कर रखें हैं तय
Crime News:एनिमल हाउस, जो कभी केवल शोध (रिसर्च) के लिए चूहों और खरगोशों को पालता था, अब उन्हें बेचकर भी आय का साधन बना रहा है।
Crime News: विज्ञान और चिकित्सा की साधना में अब मेरठ का एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज एक नए मुकाम पर पहुँच गया है। यहाँ का एनिमल हाउस, जो कभी केवल शोध (रिसर्च) के लिए चूहों और खरगोशों को पालता था, अब उन्हें बेचकर भी आय का साधन बना रहा है। पिछले एक वर्ष में ही यह केंद्र डेढ़ लाख से अधिक चूहे और खरगोश अन्य कॉलेजों और शोध संस्थानों को बेच चुका है।
यह उपलब्धि केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि एक प्रयोग है, जिसमें आध्यात्मिक अनुशासन जैसी व्यवस्था अपनाकर जीवों को सँभाला जा रहा है। मेडिकल और फार्मेसी के छात्रों के शोध कार्यों के लिए यह प्रयोगशाला अब पशु पालन और विक्रय केंद्र दोनों की भूमिका निभा रही है।
एनिमल हाउस में छह नए कक्ष तैयार किए गए हैं, जिनमें एसी, पिंजरे और वैज्ञानिक आहार व्यवस्था मौजूद है। हर जीव को उसके स्वभाव और ज़रूरत के अनुसार भोजन दिया जाता है — दूध, पानी और पौष्टिक डाइट। यहाँ नियुक्त कर्मचारी न केवल देखरेख करते हैं, बल्कि मानो सेवा भाव से इन जीवों की तपस्या में लगे हों।
डॉ. मनीष सैनी, प्रभारी एनिमल हाउस, बताते हैं कि यह प्रयोगशाला अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पहला सरकारी केंद्र है जो वैज्ञानिक शोध के लिए जीवों की कॉमर्शियल ब्रीडिंग कर रही है।
कीमतों का निर्धारण: सरकारी बनाम निजी
यहाँ वैज्ञानिक अनुशासन के साथ-साथ आर्थिक गणित भी जुड़ा है।
स्विस अल्बिनो चूहे: सरकारी केंद्र पर ₹80, निजी पर ₹100
विस्टर चूहे: सरकारी केंद्र पर ₹150, निजी पर ₹200
डुकन हार्टले गिनी पिग: सरकारी केंद्र पर ₹400, निजी पर ₹600
न्यूज़ीलैंड सफेद खरगोश: सरकारी केंद्र पर ₹1200, निजी पर ₹1800
इन दरों से साफ़ है कि शोध की क्लिनिकल ज़रूरतें अब व्यवस्थित बाज़ार से पूरी की जा रही हैं।
कालेज प्रशासन का कहना है कि चूहों और खरगोशों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है, क्योंकि शोध कार्यों में इनकी मांग बढ़ती जा रही है। ऑर्डर वेटिंग लिस्ट में हैं और एक वर्ष में ही कॉलेज ने कॉमर्शियल ब्रीडिंग हाउस लाइसेंस लेने के बाद नया रिकॉर्ड बना दिया है।