Married woman love affair:मोहब्बत में अंधी हुई पूजा, शादी के 13 साल बाद चढ़ा इश्क का बुखार, तीन बच्चे को छोड़ कर ढ़ाई लाख कैश लेकर आशिक के साथ हुई फुर्र
Married woman love affair:मुजफ्फरपुर की मिट्टी में फिर एक बार ‘इश्क़’ ने अपनी सीमाओं को तोड़ दिया। वो कहा गया है न “मोहब्बत न तो सरहद देखती है, न उम्र, न मज़हब।” यही हक़ीक़त बन गई तुर्की थाना क्षेत्र के खरौना डीह गांव की, जहां एक औरत ने अपने 13 बरस
Married woman love affair:मुजफ्फरपुर की मिट्टी में फिर एक बार ‘इश्क़’ ने अपनी सीमाओं को तोड़ दिया। वो कहा गया है न “मोहब्बत न तो सरहद देखती है, न उम्र, न मज़हब।” यही हक़ीक़त बन गई तुर्की थाना क्षेत्र के खरौना डीह गांव की, जहां एक औरत ने अपने 13 बरस पुराने रिश्ते को ठुकरा कर, अपनी मोहब्बत के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया।
पूजा देवी, जो अमरजीत सहनी की पत्नी हैं वही अमरजीत जो दिन-रात मेहनत मजदूरी कर अपने घर का चूल्हा जलाता था, जिसने अपने बच्चों की क़समें खाकर ज़िंदगी की राह तय की थी। लेकिन प्यार के जुनून में डूबी पूजा ने न तो पति की इज़्ज़त देखी, न बच्चों का मासूम चेहरा। उसने तो बस अपने दिल की आवाज़ सुनी और चली गई, उस ‘आकाश’ के साथ जिसने पिछले छह महीनों में उसकी ज़िंदगी में दस्तक दी थी।
रात के अंधेरे में, घर की दीवारें जैसे सब कुछ देखती रहीं पूजा देवी ढाई लाख रुपये समेट कर अपने तीनों बच्चों और पति को छोड़ भाग गई। सुबह जब अमरजीत ने देखा कि घर सूना पड़ा है, बच्चों की आंखें नम हैं, और तिजोरी खाली— तो वो समझ गया कि उसका घर उजड़ गया है।
गांव में सन्नाटा है, लोग कानाफूसी कर रहे हैं कोई इसे इश्क़ का जुनून कह रहा है, तो कोई औरत की बेवफ़ाई। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि क्या प्यार सच में अंधा होता है, या बस वासना की परछाई में इंसान अपनी आंखें मूंद लेता है?
अमरजीत की आंखों में अब भी उम्मीद की हल्की चमक है कि शायद उसकी पत्नी लौट आए, पर हक़ीक़त यह है कि अब पूजा देवी का नाम गांव की गली में एक कहानी बन चुका है “वो जो अपने तीन बच्चों को छोड़ मोहब्बत के नाम पर चली गई।”
बेटा सुमित कुमार, जो महज़ 11 साल का है, जब कहता है कि मां रोज उस आदमी से बात करती थी, हमें देख कर भी नहीं रुकती थी…” तो जैसे हवा में दर्द घुल जाता है।
मुजफ्फरपुर की ये कहानी सिर्फ़ एक घर के टूटने की नहीं, बल्कि उस प्यार की है जो जब हदें पार करता है तो सबसे बड़ा अपराध बन जाता है , जहां दिल की अदालत में इंसाफ़ का कोई वकील नहीं होता।
रिपोर्टर-मनी भूषण शर्मा
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                     
                     
                     
                    