Bihar politics:आख़िर क्यों करवाना चाहती है बिहार सरकार संदिग्ध नेताओं का लाई-डिटेक्शन टेस्ट, पटना से दिल्ली तक चर्चा, बिहार की राजनीति में क्यों मचा भूचाल, जानिए
Bihar politics: पूर्व आरजेडी विधायक बीमा भारती और बीजेपी विधायक मिश्री लाल यादव से कई अहम सवाल किए गए, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने की वजह से जांच एजेंसी अब वैज्ञानिक परीक्षण की ओर बढ़ रही है।
Bihar politics:बिहार की राजनीति से जुड़े बहुचर्चित हार्स ट्रेडिंग केस में जांच अब और गहराती जा रही है। आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले में शामिल कुछ संदिग्धों का लाई-डिटेक्शन टेस्ट (झूठ पकड़ने की जांच) कराने की तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार को ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने इसकी पुष्टि की।
डीआईजी ढिल्लों ने बताया कि इस केस में अब तक कई लोगों से पूछताछ की गई है, जिनमें पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक भी शामिल हैं। पूछताछ के दौरान कुछ लोगों के जवाब संतोषजनक नहीं मिले। ऐसे में अब उनका लाई-डिटेक्शन टेस्ट कराने पर विचार किया जा रहा है।
जांच में जिन नेताओं के नाम अब तक सामने आए हैं, उनमें पूर्व आरजेडी विधायक बीमा भारती और बीजेपी विधायक मिश्री लाल यादव भी शामिल हैं। पूछताछ में दोनों से कई अहम सवाल किए गए, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने की वजह से जांच एजेंसी अब वैज्ञानिक परीक्षण की ओर बढ़ रही है।
यह मामला फरवरी 2024 में सामने आया था, जब नीतीश कुमार के यू-टर्न के बाद बनी एनडीए सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित किया। इसी दौरान जेडीयू विधायक सुधांशु शेखर ने पटना के कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें आरजेडी की ओर से पार्टी बदलने के लिए 10 करोड़ रुपये नकद और मंत्री पद की पेशकश की गई थी। सुधांशु शेखर ने दावा किया था कि अगर वे मान जाते, तो तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी एक बार फिर सत्ता में लौट सकती थी।
बीमा भारती 2000 में रुपौली से निर्दलीय विधायक बनीं, बाद में राजद में शामिल हुईं। 2010 और 2015 में जेडीयू से चुनाव जीता। 2024 के आम चुनाव से पहले उन्होंने जेडीयू छोड़कर राजद जॉइन किया और पूर्णिया लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन पप्पू यादव से हार गईं।
मिश्री लाल यादव 2020 में वीआईपी से अलीनगर से विधायक बने, बाद में बीजेपी में शामिल हो गए। एक पुराने केस में दो साल की सजा के कारण जून 2025 में उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी। हालांकि, पटना हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद जुलाई 2025 में उनकी सदस्यता बहाल हो गई और वे दोबारा बीजेपी विधायक हैं।
ईओयू की जांच और लाई-डिटेक्शन टेस्ट की तैयारी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सवाल यह है कि क्या जांच में बड़े नेताओं की संलिप्तता सामने आएगी?या यह केस सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित रह जाएगा?आने वाले दिनों में ईओयू की कार्रवाई और अदालत की प्रक्रियाएं तय करेंगी कि यह मामला बिहार की राजनीति में किसे संकट में डालता है और किसे राहत दिलाता है। देखना बाकी है