Bihar School News:बिहार के इस स्कूल में जन्नत के नाम पर हो रहा था जहन्नुम का धंधा, मासूमों का 'धर्मांतरण' और 'रेप', केंद्रीय गृह सचिव से जांच की सिफारिश

जेम्स इंग्लिश स्कूल में धर्मांतरण के 'काला कारोबार' और नाबालिग बच्चियों से 'दुष्कर्म' की वारदात ने 'पूरे सूबे' को 'हिलाकर' रख दिया है। यह 'सनसनीखेज' खुलासा तब हुआ जब रोहतास जिला बाल कल्याण समिति ने एक 'मामले' की 'जांच' के लिए इस स्कूल का 'दौरा' किया

स्कूल के मासूमों का 'धर्मांतरण' और 'रेप- फोटो : social Media

Bihar School News: बिहार के रोहतास जिले में एक स्कूल के परदे के पीछे चल रहे 'शैतानी' खेल का 'पर्दाफाश' हुआ है। सासाराम के इंद्रपुरी स्थित जेम्स इंग्लिश स्कूल में धर्मांतरण के 'काला कारोबार' और नाबालिग बच्चियों से 'दुष्कर्म' की वारदात ने 'पूरे सूबे' को 'हिलाकर' रख दिया है। यह 'सनसनीखेज' खुलासा तब हुआ जब रोहतास जिला बाल कल्याण समिति ने एक 'मामले' की 'जांच' के लिए इस स्कूल का 'दौरा' किया।

जांच के दौरान समिति को पता चला कि स्कूल परिसर में चल रहे जेम्स टेलरिंग इंस्टीट्यूट में गरीब 'परिवारों' के 'मासूमों' को 'झांसा' देकर 'लाया' जाता है और उनका 'धर्मांतरण' कराया जाता है। यह 'चौंकाने वाली' जानकारी सामने आने के बाद 'अफसरों' के बीच 'हड़कंप' मच गया। समिति ने अपनी 'विस्तृत' रिपोर्ट 'भारत सरकार के गृह सचिव', 'डीएम' और अन्य 'उच्चाधिकारियों' को भेजकर 'मामले' की 'गहन जांच' कराने की 'सिफारिश' की है।

'कमेटी' की 'जांच' टीम जब स्कूल पहुंची तो वहां 'मौजूद' बच्चियों की 'नामांकन' और 'उपस्थिति' का कोई 'रजिस्टर' नहीं मिला। सिर्फ एक 'कागज़' पर 15 बच्चियों के नाम 'दर्ज' थे। 'इंस्टीट्यूट' के 'संचालन' से संबंधित कोई भी 'दस्तावेज' या 'अनुमति पत्र' भी 'मौजूद' नहीं था। इस 'अंधेरे' धंधे का 'खुलासा' तब हुआ जब 'जांच' के दौरान एक 'लड़की' के 'जोर-जोर' से 'रोने' की 'आवाज़' सुनाई दी। 'कर्मियों' ने 'पेट में दर्द' का 'बहाना' बनाया, लेकिन 'सच्चाई' कुछ और ही थी।

जब 'पुलिस' और 'समिति' के 'सदस्यों' ने 'लड़की' को 'रेस्क्यू' कर उससे 'बातचीत' की, तो उसने जो 'दास्तां' सुनाई, वो 'रूह कंपा देने' वाली थी। उसने बताया कि उसके साथ चार लोगों ने 'दुष्कर्म' किया था। 'चिकित्सा जांच' के बाद 'पीड़िता' को 'बालिका गृह' भेज दिया गया। 'अगले' ही दिन 'पुलिस' और 'बाल कल्याण समिति' की टीम ने दोबारा 'छापा' मारकर 'सात' और बच्चियों को 'मुक्त' कराया। इन 'लड़कियों' के 'बयानों' से 'जांच' में 'खुलासा' हुआ कि 'धर्मांतरण' का 'खेल' बड़े 'पैमाने' पर चल रहा था।

यह 'मामला' 'बिहार' के 'शैक्षणिक संस्थानों' की 'आड़' में चल रहे 'असामाजिक' और 'आपराधिक' 'गतिविधियों' की 'पोल' खोलता है। 'पुलिस' और 'प्रशासन' के 'अधिकारी' अब 'जांच' में 'जुटे' हैं, लेकिन 'सवाल' यह है कि 'आखिरकार' इतने 'सालों' से यह 'धंधा' कैसे 'चल' रहा था? 'क्या' स्थानीय 'प्रशासन' की 'लापरवाही' भी इसका एक 'कारण' है? 'पीड़ितों' को 'इंसाफ' दिलाना और 'दोषियों' को 'कड़ी से कड़ी सजा' दिलाना ही 'इंसानियत' की 'बहाली' का पहला 'कदम' होगा।