डॉक्टर बना दरिंदा! दो साल से बना रहा था धमाका करने का प्लान, कई शहरों को उड़ाने की साजिश बेनकाब

Delhi Blast: देश की राजधानी के ऐतिहासिक लाल किले के समीप हुए सनसनीखेज संदिग्ध कार ब्लास्ट मामले में जाँच एजेंसियों ने एक अत्यंत गंभीर और विस्तृत आतंकी साज़िश का पर्दाफ़ाश किया है।

डॉक्टर बना दरिंदा! दो साल से बना रहा था धमाका करने का प्लान- फोटो : social Media

Delhi Blast: देश की राजधानी के ऐतिहासिक लाल किले के समीप हुए सनसनीखेज संदिग्ध कार ब्लास्ट मामले में जाँच एजेंसियों ने एक अत्यंत गंभीर और विस्तृत आतंकी साज़िश का पर्दाफ़ाश किया है। सूत्रों की अहम जानकारी के मुताबिक, इस नापाक हमले का मुख्य साज़िशकर्ता डॉ. उमर उन नबी है, जिसे फरीदाबाद मॉड्यूल का सबसे कट्टरपंथी सदस्य बताया जा रहा है। इस ख़तरनाक मॉड्यूल में पहले ही गिरफ्तार किए गए तीन अन्य डॉक्टर डॉ. मुजम्मिल अहमद गणाई, डॉ. अदील मजीद राथर और डॉ. शाहीन शाहिद भी शामिल थे, जो अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थे।

यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि ये उच्च शिक्षित पेशेवर, अपने डॉक्टरी पेशे को एक सुरक्षित ढाल बनाकर, काम के बाद की गुप्त बैठकों में देश के खिलाफ़ आतंकी मंसूबों पर चर्चा करते थे। सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर में हुई सघन पूछताछ के दौरान शाहीन शाहिद ने यह क़बूल किया कि उमर अक्सर देश भर में कई आतंकी हमले करने की बातें करता था। जाँच एजेंसियों के मुताबिक, उमर, मुजम्मिल और अदील लगभग दो वर्षों से अमोनियम नाइट्रेट जैसे उर्वरक-आधारित विस्फोटक जमा कर रहे थे, जिसका मकसद जैश-ए-मोहम्मद के निर्देशानुसार देशव्यापी बड़े पैमाने पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना था।

सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि फ़रार डॉ. उमर उन नबी पर ही लाल किले के पास हुई इस ख़ौफ़नाक वारदात को अंजाम देने का संदेह है, जिसमें उसने एक i20 कार का इस्तेमाल करते हुए अमोनियम नाइट्रेट और डिटोनेटर जैसे व्यावसायिक विस्फोटक से धमाका किया।

गिरफ्तार डॉक्टरों से हुई पूछताछ ने जैश-ए-मोहम्मद के एक विशाल नेटवर्क की गहराई को सामने ला दिया है। इसके तार अब लखनऊ तक फैल गए हैं, जहाँ से शाहीन के भाई परवेज़ सईद को हिरासत में लिया गया है। हालाँकि, विस्फोटकों की बरामदगी न होने से यह आशंका है कि उसने गिरफ्तारी के डर से सामग्री नष्ट कर दी हो। इस बीच, गुरुग्राम स्थित एक अमोनियम नाइट्रेट सप्लायर की पहचान हुई है, जिस पर जल्द ही सख़्त कार्रवाई हो सकती है।

जाँच में यह भी सामने आया है कि फरीदाबाद और दिल्ली में हुई छापेमारी ने कट्टरपंथियों के एक छिपे हुए नेटवर्क को बेनकाब किया है। ये वे मौलवी हैं, जो शोपियाँ निवासी मौलवी इरफ़ान अहमद वागे और मेवात के मौलवी हाफ़िज़ मोहम्मद इश्तियाक जैसे शख़्सियतों द्वारा संचालित हैं, जो सीधे पाकिस्तान आधारित जैश हैंडलर उमर बिन खत्ताब उर्फ हर्जुल्ला के सम्पर्क में थे। ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कर उच्च शिक्षित पेशेवरों—खासकर डॉक्टरों—को भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए ब्रेनवॉश कर रहे थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि, मेडिकल का पेशा आतंकियों के लिए एक आदर्श आवरण था, जिससे वे बिना शक अपनी ख़ुफ़िया साज़िशों को अंजाम दे सकें।

यह पहला मौका नहीं है जब किसी कश्मीरी डॉक्टर के आतंकी गतिविधियों में शामिलियत का मामला सामने आया है। नवंबर 2023 में डॉ. निसार उल हसन की बर्खास्तगी भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी थी। जाँच एजेंसियाँ अब इस बात की तफ़्तीश कर रही हैं कि क्या डॉ. निसार उल हसन का इस फरीदाबाद मॉड्यूल या दिल्ली ब्लास्ट से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध था।