Kartarpur Corridor: क्या समझौता होगा नवीनीकृत ? ननकाना साहिब पर पाकिस्तानी हुकुमत के फैसले का इंतजार

करतारपुर कॉरिडोर एक ऐतिहासिक पहल है जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कॉरिडोर दोनों दे

पाकिस्तानी हुकुमत के फैसले का इंतजार

Kartarpur Corridor: करतारपुर कॉरिडोर, जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित है, सिखों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह कॉरिडोर 2019 में खोला गया था, जिससे भारतीय श्रद्धालु बिना वीजा के करतारपुर साहिब गुरुद्वारे तक पहुँच सकते हैं। यह कॉरिडोर एक ऐतिहासिक समझौते का हिस्सा है, जो कि दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया था।नवंबर 2024 में इस समझौते की अवधि समाप्त हो रही है। इस समय सीमा के नजदीक आते ही, पाकिस्तान ने नए योजनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया है। यह आवश्यक है कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग बना रहे ताकि श्रद्धालुओं को कोई कठिनाई न हो।

करतारपुर कॉरिडोर एक ऐतिहासिक पहल है जिसने भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह कॉरिडोर दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।

हालांकि, नवंबर 2024 में इस कॉरिडोर के लिए पहला पांच साल का समझौता समाप्त होने वाला है। इसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं: क्या यह समझौता नवीनीकृत होगा? क्या कॉरिडोर का दायरा बढ़ाया जाएगा? पाकिस्तान द्वारा ननकाना साहिब जैसे अन्य महत्वपूर्ण सिख तीर्थ स्थलों को शामिल करने का प्रस्ताव, इस कॉरिडोर के भविष्य के लिए कई संभावनाएं खोलता है।

यह सिख समुदाय के लिए एक बड़ा कदम होगा और दोनों देशों के बीच धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देगा। यहीं नहीं  यह क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। इससे  दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा।

कुछ चुनौतियाँ भी हैं। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है।दोनों देशों की सरकारों को इस परियोजना को सफल बनाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी।

सूत्रों का सुझाव है कि पाकिस्तान न केवल गलियारे को नवीनीकृत करने में बल्कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मस्थान ननकाना साहिब को शामिल करने के लिए इसके दायरे का विस्तार करने में भी रुचि व्यक्त कर सकता है। यह पहल तीर्थयात्रियों को सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से दो, ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब दोनों की यात्रा करने की अनुमति देगी। इसके अतिरिक्त, पाकिस्तान कथित तौर पर शाम तक भारत लौटने की वर्तमान आवश्यकता के बजाय श्रद्धालुओं को करतारपुर साहिब में रात भर रुकने की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

करतारपुर कॉरिडोर एक महत्वपूर्ण पहल है जिसने दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस कॉरिडोर का विस्तार दोनों देशों के लिए एक बड़ा अवसर है। हालांकि, इस परियोजना को सफल बनाने के लिए कई चुनौतियों को पार करना होगा।

देखना होगा कि आने वाले महीनों में भारत और पाकिस्तान की सरकारें इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती हैं। क्या वे इस कॉरिडोर का विस्तार करेंगे? यदि हां, तो यह दोनों देशों के संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा।

Editor's Picks