Justice Yashwant Verma : जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ना तय! विपक्षी सांसद भी तैयार, ये प्लान बना रही सरकार....
Justice Yashwant Verma:Justice Yashwant Verma: भारतीय लोकतंत्र के न्यायिक मंदिर में एक बार फिर तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस बार केंद्र में हैं जस्टिस यशवंत वर्मा....
N4N DESK : भारतीय लोकतंत्र के न्यायिक मंदिर में एक बार फिर तूफान उठ खड़ा हुआ है। इस बार केंद्र में हैं जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके सरकारी आवास से बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के बाद न्यायिक गरिमा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। मामला केवल जांच तक सीमित नहीं रहा; अब संसदीय तलवार महाभियोग के रूप में उनके सिर पर लटक रही है। केंद्र सरकार महाभियोग प्रस्ताव को हरी झंडी दे चुकी है और इसे 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।
फिलहाल रणनीतिक स्तर पर इस बात पर मंथन जारी है कि प्रस्ताव को पहले राज्यसभा में लाया जाए या लोकसभा से आरंभ किया जाए। विपक्ष भी इस बार सरकार के सुर में सुर मिला रहा है, हालांकि कांग्रेस की यह शर्त चर्चा में है कि यदि जस्टिस वर्मा पर कार्रवाई हो रही है, तो जस्टिस शेखर यादव पर भी महाभियोग लाया जाए, जिन्होंने कथित रूप से विश्व हिंदू परिषद के एक मंच से सांप्रदायिक टिप्पणी की थी।
संविधान का अनुच्छेद 124(4) इस पूरे प्रावधान का आधार है। इसके तहत, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी जज को हटाने के लिए लोकसभा में 100 और राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं। इसके बाद ही प्रस्ताव सदन में पेश किया जा सकता है। फिर, दोनों सदनों से दो-तिहाई बहुमत से पारित होने की शर्त जुड़ी होती है। लेकिन इस प्रक्रिया में सबसे अहम कड़ी होती है — जांच समिति का गठन। लोकसभा अध्यक्ष इस समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के किसी अन्य जज, किसी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और एक प्रख्यात कानूनविद को नामित करते हैं। यदि यह समिति अपनी रिपोर्ट में जज के खिलाफ आरोपों को पुष्ट करती है, तभी संसद में प्रस्ताव पर मतदान की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
यदि संसद से यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति के पास सिफारिश भेजी जाती है, और उनके हस्ताक्षर के साथ ही संबंधित जज को पद छोड़ना होता है।