Pahalgam Terrorist Attack : द रेजिस्टेंस फ्रंट क्‍या है? पहलगाम आतंकी हमले के पीछे लश्‍कर का मुखौटा, UAPA के तहत बैन, जानिए पूरी हिस्ट्री

The Resistance Front (TRF): पहलगाम आतंकी हमले की जिम्मेदारी The Resistance Front नाम के आतंकी संगठन ने ली है। जानिए लश्‍कर-ए-तैयबा के इस धड़े की पूरी कुंडली

Pahalgam Terrorist Attack : द रेजिस्टेंस फ्रंट क्‍या है? पहलगाम आतंकी हमले के पीछे लश्‍कर का मुखौटा, UAPA के तहत बैन, जानिए पूरी हिस्ट्री
The Resistance Front (TRF)- फोटो : google

N4N डेस्क: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने बड़े हमले को अंजाम दिया है.मंगलवार शाम को आतंकवादी हमले में आतंकियों ने न सिर्फ गोलियां चलाईं, बल्कि उससे पहले एक सोची-समझी साजिश के तहत हिंदू पर्यटकों की पहचान कर उन्हें अपना निशाना बनाया. इस वीभत्स हमले में इस हमले में अबतक 27 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 20 से अधिक पर्यटक घायल हैं. जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.आतंकवादी हमले में दो विदेशी नागरिकों की भी मौत हुई है. निहत्थे लोगों को निशाना बनाने के बाद आतंकवादी घने जंगल की ओर भाग गए.इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू कश्मीर के लिए रवाना हो चुके हैं. शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले के पीछे प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन TRF (The Resistance Front) जिम्मेदार है। TRF ने सोशल मीडिया के जरिए इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी भी ले ली है। इतना ही नहीं, इस आतंकी हमले में कुछ घोड़े भी घायल हुए हैं, जिन्हें गोलियां लगी हैं.

The Resistance Front क्‍या है?

साल 2019 में अस्तित्व में आया द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जम्मू-कश्मीर में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है. यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा के रूप में पैदा हुआ. आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द करने के बाद TRF की शुरुआत लश्‍कर की ऑनलाइन यूनिट के रूप में हुई थी.  TRF ने ऑनलाइन पॉपुलैरिटी बटोरी.इस दौरान, TRF लश्कर के अलावा तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद सहित विभिन्न संगठनों का मिश्रण बनता गया.TRF ने 2020 से घाटी में हमलों की जिम्मेदारी लेना शुरू किया. पूरी घाटी में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी अब सिर्फ TRF ही लेता है. अब लश्‍कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन का नाम आना बंद हो गया है. नतीजतन घाटी में TRF की बढ़ती मौजूदगी का पता जल्द ही चलने लगा. सोपोर, जो कभी लश्‍कर का बेहद मजबूत गढ़ था, वहां से ओवरग्राउंड वर्कर्स  के मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ. कुपवाड़ा में भी OGWs पकड़े गए. इन लोगों ने खुलासा किया कि वे 'नए संगठन के लिए युवाओं की भर्ती' कर रहे थे. टीआरएफ का नाम तब चर्चा में आया जब उसने 2020 में बीजेपी कार्यकर्ता फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या कर दी थी.टीआरएफ कश्मीर में फिर से वही दौर लाना चाहता है, जो कभी 90 के दशक में था. टीआरएफ के आतंकी टारगेट किलिंग पर फोकस करते हैं. वो ज्यादातर गैर-कश्मीरियों को ताकि बाहरी राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर आने से बचें. टीआरएफ दर्जनों आतंकवादी हमलों को अंजाम दे चुका है.

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