Chhath Puja 2025: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा प्रारंभ, व्रतियों के लिए 10 सख्त नियम, जरा सी गलती पड़ सकती है भारी

Chhath Puja 2025: लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर व्रतियों के द्वारा सख्त नियमों का पालन किया जाता है। आज नहाय-खाए से छठ पर्व की शुरुआत हो गई है। आइए जानते हैं छठ के 10 सख्त नियम

Chhath Puja 2025- फोटो : social media

Chhath Puja 2025:  कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा प्रारंभ हो गया है। यह चार दिनों तक चलने वाला पर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में आस्था, अनुशासन और शुद्धता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा का पहला दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन व्रती पवित्र नदियों में स्नान कर सात्विक भोजन करते हैं। आज सभी व्रति नहाय-खाय कर रही हैं। 

36 घंटे का निर्जला उपवास 

इसके बाद दूसरे दिन खरना मनाया जाता है, जिसमें गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है। इस दौरान व्रती सहित पूरा परिवार कड़े नियमों और अनुशासन का पालन करता है। यह व्रत केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व भी है। यही कारण है कि इसमें शरीर और मन, दोनों की शुद्धता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

 छठ पूजा के 10 प्रमुख नियम

सफाई और शुद्धता सबसे जरूरी

नहाय-खाय से लेकर उषा अर्घ्य तक घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। छठ प्रसाद बनाते समय पूर्ण स्वच्छता और पवित्रता का पालन करें।

निर्जला व्रत में जल का त्याग

व्रती को खरना के बाद 36 घंटे तक बिना अन्न और जल ग्रहण किए उपवास रखना होता है। गलती से भी जल पीने पर व्रत खंडित माना जाता है।

सभी के लिए सात्विक भोजन

छठ पर्व के दौरान पूरे परिवार को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। नहाय-खाय से ही घर में लहसुन, प्याज और नमक (सेंधा नमक को छोड़कर) का उपयोग वर्जित होता है।

सिंदूर का विशेष महत्व

व्रती महिलाएं साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर नाक से मांग तक नारंगी सिंदूर लगाती हैं, जो अखंड सौभाग्य का प्रतीक है।

व्रती के वस्त्र हों सादे और सूती

व्रती नई, साधारण और सूती साड़ी या धोती पहनें। व्रत के दौरान कपड़े फटने या गंदे होने नहीं चाहिए। यह पर्व त्याग, तपस्या और संयम का प्रतीक है।

मन की शांति बनाए रखें

खरना के बाद 36 घंटे के निर्जला व्रत में मन को शांत और सकारात्मक रखना आवश्यक है। झगड़े, क्रोध या विवाद से दूर रहना चाहिए।

पूजा सामग्री की शुद्धता पर ध्यान दें

पूजा में इस्तेमाल होने वाले फल, फूल, अन्न, और जल पूरी तरह शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर रखें।

साफ बर्तन और नई टोकरी का उपयोग

पूजा में प्रयुक्त टोकरी, थाली, कलश और लोटा नई या अच्छी तरह धुली हुई होनी चाहिए। अगर स्वास्थ्य कारणों से निर्जला उपवास कठिन हो, तो डॉक्टर की सलाह से हल्का फलाहार लिया जा सकता है।

व्रती के बाद ही ग्रहण करें प्रसाद

परिवार के सदस्य व्रती के भोजन करने के बाद ही प्रसाद या भोजन ग्रहण करें। विशेषकर खरना के दिन इस नियम का पालन अनिवार्य है।

घर का माहौल रखें शांत और सकारात्मक

छठ पूजा के दौरान टीवी, म्यूजिक या तेज आवाज से परहेज करें। परिवार में झगड़ा या कलेश से बचें ताकि घर में आध्यात्मिक और शांत वातावरण बना रहे। छठ पूजा में नियमों और अनुशासन का पालन ही व्रत की सबसे बड़ी साधना माना गया है। श्रद्धा, संयम और स्वच्छता के इस पर्व में अब पूरा बिहार छठ मइया की आराधना के लिए तैयार है।