Rath Yatra 2025: जब भगवान से नाराज हुई देवी...माता लक्ष्मी आज तोड़ेंगी भगवान जगन्नाथ का रथ, जानिए कैसे निभाई जाती है यह अनूठी परंपरा....
Rath Yatra 2025: रथयात्रा की पंचमी तिथि के दिन एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन माँ लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की रथ तोड़ देती हैं और वापस मंदिर चली जाती हैं...आइए जानते हैं इस अनूठी परंपरा के बारे में...
Rath Yatra 2025: महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा में जहां एक ओर आस्था, उल्लास और उमंग का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वहीं इस दौरान कई अनूठी परंपराएं भी निभाई जाती हैं। ऐसी ही एक विशेष परंपरा रथयात्रा की पंचमी तिथि को निभाई जाती है। जब माता लक्ष्मी स्वयं भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़ती हैं।
भगवान जगन्नाथ से नाराज हो जाती है माता लक्ष्मी
इस वर्ष यह परंपरा सोमवार यानी आज निभाई जाएगी। मान्यता है कि रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ माता लक्ष्मी को अपने साथ नहीं ले जाते। इसी बात से नाराज होकर माता लक्ष्मी मुख्य मंदिर से निकलकर मौसीबाड़ी पहुंचती हैं, जहां भगवान का रथ ठहरा होता है और माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ का रथ तोड़ देती हैं और फिर वापस चली जाती हैं।
ऐसे निभाई जाती है परंपरा
बता दें कि, मंदिर के पुजारी लक्ष्मी जी की प्रतिमा को लेकर रथ तक आते हैं। वहां माता लक्ष्मी भगवान के रथ का पहिया तोड़ देती हैं और फिर नाराज होकर लौट जाती हैं। इस परंपरा को मूल्यवान दांपत्य लीलाओं का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद रथ के पहिए की मरम्मत कराई जाती है और भगवान जगन्नाथ मौसी के घर से वापसी यात्रा करते हैं।
माता लक्ष्मी नहीं खोलती हैं मंदिर का द्वार
वहीं जब भगवान वापस मुख्य मंदिर पहुंचते हैं, तो नाराज माता लक्ष्मी पहले तो मंदिर का द्वार खोलने से इनकार कर देती हैं। काफी मनुहार और मान-मनौव्वल के बाद ही वह द्वार खोलती हैं और भगवान जगन्नाथ वापस मंदिर में प्रवेश करते हैं। गौरतलब है कि जगन्नाथपुर मुख्य मंदिर में भगवान जगन्नाथ की अनुपस्थिति के दौरान भी दर्शन मंडप में राधा-कृष्ण सहित अन्य देवी-देवताओं की नियमित पूजा-अर्चना होती रहती है।