Religion: कर्म का अटल सत्य, कृष्ण की चेतावनी, कर्मों से नहीं बचता कोई

Religion: भगवान श्रीकृष्ण के वचनों में छिपा यह गूढ़ रहस्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना युगों पहले था।...

कर्म का अटल सत्य- फोटो : Meta

Religion: भगवान श्रीकृष्ण के वचनों में छिपा यह गूढ़ रहस्य आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना युगों पहले था। वे कहते हैं—“जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच अपनी मां को पहचान लेता है, वैसे ही कर्म अपने कर्ता को सौ जन्मों के भीतर भी ढूंढ़ ही लेता है।” यह जीवन का वह अटल सत्य है जिससे कोई मनुष्य बच नहीं सकता। आज नहीं तो कल, वह कर्म हमारे दरवाज़े पर दस्तक देता है, कभी आशीर्वाद बनकर, तो कभी भयावह परिणाम बनकर।

कर्म की गति नीरव होती है, पर उसका प्रहार वज्र समान। कई बार हम देखते हैं कि एक क्षण में संपन्न राजा रंक बन जाता है, उसका वैभव, सम्मान, प्रतिष्ठा—all vanish like a sandcastle in a storm. यह केवल उसका आज का परिणाम नहीं होता, बल्कि पूर्व जन्मों में किए गए कर्मों का लेखा-जोखा होता है, जो बिना किसी पक्षपात के उसे सौंप दिया जाता है।

श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि “हे पार्थ, किसी सरल आत्मा को छल कर उसकी अंतरात्मा को दुखी मत करो। छल की चालाकी क्षणिक विजय दिला सकती है, पर अंततः वह विनाश का द्वार खोलती है।” इसलिए मनुष्य को ईश्वर से कम और अपने कर्मों से अधिक डरना चाहिए, क्योंकि ईश्वर क्षमा कर सकता है, पर कर्म फल अवश्य देता है।

यह जीवन एक परीक्षा है, और कर्म उसकी लेखा पुस्तिका। जब भी आत्मा जागे, वह पल ही सर्वोत्तम होता है। इसलिए “जब जागो, तभी सवेरा।” अपने कर्मों को प्रकाश बनाओ, न कि अंधकार का कारण। यही श्रीकृष्ण की सच्ची वाणी है।

कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से....