Navratri 2025: इस मंदिर में पति-पत्नी साथ नहीं कर सकते मां भवानी का दर्शन, जानिए क्या है वजह

मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पति-पत्नी साथ में पूजा और दर्शन नहीं कर सकते। ऐसा करने पर धार्मिक मान्यता के अनुसार पाप लगता है और दांपत्य जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

मंदिर में पति-पत्नी साथ नहीं कर सकते मां भवानी का दर्शन- फोटो : social Media

Navratri 2025:  शारदीय नवरात्रि की पावन शुरुआत आज से हो चुकी है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक उर्जा का स्रोत मानी जाती हैं। पूरे देश में इस उत्सव की धूम है और अगले नौ दिन तक हिंदू श्रद्धालु माता रानी की भक्ति में रंगे रहेंगे।

आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित उस अद्भुत और रहस्यमयी मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसे श्राई कोटि माता मंदिर या सामान्यतः मां दुर्गा मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर समुद्रतल से लगभग 11,000 फीट की ऊँचाई पर बसा है और नवरात्रि के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर की देखभाल और धार्मिक आयोजनों की जिम्मेदारी माता भीमा काली ट्रस्ट के पास है।

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पति-पत्नी साथ में पूजा और दर्शन नहीं कर सकते। ऐसा करने पर धार्मिक मान्यता के अनुसार पाप लगता है और दांपत्य जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यही वजह है कि विवाहित जोड़े सावधानी बरतते हैं और अलग-अलग समय पर माता के दर्शन करते हैं।

माना जाता है कि यह नियम भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की कहानी से जुड़ा है। एक बार भगवान गणेश और कार्तिकेय के बीच शर्त लगी कि कौन ब्रह्मांड का चक्कर जल्दी पूरा कर सकता है। गणेश जी ने अपने माता-पिता, शिव और पार्वती के चारों ओर परिक्रमा की और कहा, “मेरे लिए मेरे माता-पिता के चरण ही ब्रह्मांड हैं।”

वहीं कार्तिकेय जी ने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाया। लेकिन जब वह लौटे, तब तक गणेश जी की शादी हो चुकी थी। इस पर क्रोधित कार्तिकेय ने संकल्प लिया कि वे स्वयं विवाह नहीं करेंगे।

देवी पार्वती को अपने पुत्र के इस निर्णय का दुख हुआ और उन्होंने उस स्थान को श्राप दिया, जहाँ कार्तिकेय उस समय मौजूद थे। आज यह वही स्थान श्राई कोटि माता मंदिर के रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि यहाँ अगर कोई विवाहित जोड़ा एक साथ दर्शन करता है तो उनका वैवाहिक जीवन हमेशा संघर्षपूर्ण रहेगा।

इस रहस्यमयी और दिव्य स्थल की पवित्रता और ऊँचाई दोनों ही श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। नवरात्रि के दौरान यहां की भव्य कतारें और आस्था का उत्सव इस मंदिर की महिमा को और बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि पति-पत्नी दर्शन अलग-अलग समय पर कर, अपनी भक्ति और आस्था बनाए रखते हैं।