Wedding Dates 2025: 15 जनवरी को खत्म होगा खरमास, 5 फरवरी से फिर शुरू होंगे शुभ विवाह

Wedding Dates 2025: 15 जनवरी के बाद खरमास समाप्त होते ही शादी-विवाह का शुभ समय शुरू हो जाएगा। नए वर्ष में 5 फरवरी से 12 दिसंबर तक कुल 59 शुभ मुहूर्त मिलेंगे। जानिए किन महीनों में शादी सबसे अधिक शुभ है और कौन-से नक्षत्र-लग्न श्रेष्ठ माने जाते हैं।

शादी की शहनाई पर लगेगा ब्रेक!- फोटो : social media

Wedding Dates 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार नया वर्ष शुभ अवसरों के साथ शुरू होने जा रहा है। खरमास 15 जनवरी को समाप्त हो जाएगा, जिसके साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हट जाएगी। इसके बाद विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ संस्कारों के लिए फिर से अनुकूल समय बनना शुरू होगा। नए वर्ष में विवाह के कुल उनसठ शुभ दिन उपलब्ध रहेंगे, जिनका लोग बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

फरवरी बनेगा सबसे शुभ महीना

इस बार फरवरी महीने में सबसे अधिक विवाह योग बनेंगे। ज्योतिष परंपरा यह मानती है कि जब गुरु और शुक्र दोनों उदित अवस्था में हों, तब विवाह के लिए अत्यंत शुभ माहौल तैयार होता है। इस वर्ष शुक्र का उदय 1 फरवरी से हो रहा है, इसलिए पूरे महीने शुभता बनी रहेगी। यही कारण है कि फरवरी में सर्वाधिक मुहूर्त देखने को मिल रहे हैं, जबकि मार्च, अप्रैल, मई और जून में इनके मुकाबले थोड़े कम किंतु अनुकूल समय मिलेंगे। जुलाई में संख्या घट जाती है और नवंबर-दिसंबर में फिर कुछ अवसर प्राप्त होते हैं।

कब बंद रहती हैं विवाह की तिथियां

हर वर्ष कुछ समय ऐसे होते हैं जब धार्मिक परंपराओं के कारण विवाह नहीं किए जाते। खरमास इसका पहला उदाहरण है। इसके अतिरिक्त अधिकमास और चातुर्मास की अवधि में भी विवाह संस्कार नहीं संपन्न होते। चातुर्मास को देवशयन काल माना जाता है, इसलिए इस समय मांगलिक कार्य स्थगित कर दिए जाते हैं। इस तरह वर्ष में कई महीनों में विवाह की तिथियाँ स्वाभाविक रूप से उपलब्ध नहीं रहतीं।

ग्रहों की अनुकूलता क्यों मानी जाती है महत्वपूर्ण

भारतीय संस्कृति में विवाह केवल सामाजिक संबंध नहीं, बल्कि पवित्र संस्कार है। इसी कारण ज्योतिष में सूर्य, गुरु और शुक्र को विशेष महत्व दिया गया है। माना जाता है कि जब ये ग्रह शुभ स्थिति में हों, तब दांपत्य जीवन में सौभाग्य और स्थिरता प्राप्त होती है। गुरु की कृपा को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है, जबकि शुक्र सौंदर्य, आकर्षण और सुख-संपन्नता का कारक माना जाता है।

कैसे चुने जाते हैं लग्न और नक्षत्र

विवाह मुहूर्त निकालते समय शुभ लग्न और अनुकूल नक्षत्र प्रमुख आधार होते हैं। परंपरा के अनुसार वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु और मीन लग्न को शुभ माना गया है। नक्षत्रों में रोहिणी, रेवती, अश्विनी, मृगशिरा, चित्रा, स्वाति, हस्त, अनुराधा और उत्तरा श्रृंखला के नक्षत्र सर्वोत्तम माने जाते हैं। इनमें से रोहिणी, मृगशिरा और हस्त को विशेष रूप से उत्तम स्थान प्राप्त है और इन नक्षत्रों में विवाह करना अत्यधिक मंगलकारी माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य राकेश झा का मत

पटना के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा का कहना है कि यदि वर और वधू दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो, तो ज्येष्ठ में विवाह करना शास्त्रीय रूप से वर्जित माना गया है। वहीं माघ, फाल्गुन, वैशाख, आषाढ़ और अगहन को विवाह के लिए बेहद शुभ बताया गया है। उनके अनुसार सही मास, लग्न और नक्षत्र के चयन से वैवाहिक जीवन में सौहार्द बढ़ता है।

2025–26 के प्रमुख विवाह योग

बनारसी पंचांग के अनुसार दिसंबर की शुरुआत में दो शुभ तिथियाँ चिन्हित की गई हैं। इसके बाद फरवरी में लगातार कई दिनों तक शुभ योग बन रहे हैं। मार्च में भी कई अनुकूल दिन उपलब्ध हैं। मिथिला पंचांग में जनवरी के अंतिम दिनों से ही शुभ तिथियों की पुनः शुरुआत मानी गई है और फरवरी-मार्च में कई महत्वपूर्ण विवाह दिवस बताए गए हैं।