Bihar School News: प्राथमिक विद्यालय बना खंडहरशाला, एक कमरे में एक ही मास्टरनी के भरोसे पाँच कक्षा की पढ़ाई, शिक्षा विभाग खामोश

प्राथमिक विद्यालय की दशा आज उस दर्दनाक हक़ीक़त को बयां करती है, जो हमारी शिक्षा व्यवस्था की जर्जर होती बुनियाद की पोल खोल देती है।

एक कमरे में एक ही मास्टरनी के भरोसे पाँच कक्षा की पढ़ाई- फोटो : social Media

Bihar School News:पूरा स्कूल एक खपरैलनुमा जर्जर कमरे में सिमटकर रह गया है। शिक्षा का ये मंदिर अब एक ऐसे कमरे में कैद है जहाँ पाँच अलग-अलग कक्षाओं के मासूम बच्चे शोर-शराबे के बीच पढ़ने को मजबूर हैं। यह दृश्य किसी भी ज़िम्मेदार सिस्टम को झकझोर देने के लिए काफ़ी है, लेकिन अफ़सोस प्रशासन आज भी ख़ामोश है। ये मंजर भागलपुर जिले के दिल में मौजूद प्राथमिक विद्यालय का है जहा का खस्ता हालत अब किसी राज़ की तरह छुपी नहीं रह गई है। यह हाल सिर्फ बदतर नहीं, बल्कि बद से बदतर हो चुका हैजिसे देखकर लगता है कि शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बे-रौनक हो चुकी है। नगर निगम क्षेत्र के विश्वविद्यालय परिसर में स्थित यह प्राथमिक विद्यालय आज भी एक जर्जर खपरैल भवन के सिर्फ एक कमरे में अपनी सांसें गिन रहा है। यही एक कमरा कक्षा पहली से पांचवीं तक के तमाम मासूम बच्चों के लिए क्लासरूम भी है, दफ्तर भी है और भविष्य की उम्मीद भी।

इस एक कमरे में पांचवीं कक्षा तक के बच्चे एक साथ बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। न बोर्ड सही दिखता है, न आवाज साफ सुनाई देती है। माहौल ऐसा कि शोर-शराबे में ज्ञान की आवाज़ दब जाती है। अभिभावक परेशान है एक पिता ने गुस्से और ग़म दोनों मिलाकर कहा कि बच्चे पढ़े भी कैसे? न जगह है, न सुकून, न ध्यान।

सबसे अफसोस की बात यह है कि पूरे विद्यालय का शिक्षण और प्रशासनिक बोझ सिर्फ एक ही शिक्षिका के कंधों पर है। उन्हें पांच कक्षाओं की पढ़ाई, मिड-डे मील की देखरेख, रिकॉर्ड संभालना, और दफ्तरी काम,सब कुछ अकेले करना पड़ता है। यह हाल किसी भी शिक्षिका के लिए बेहद मुश्किल और नाज़ुक है। जाहिर है, इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा और गहरा असर पड़ रहा है।

स्कूल में न पर्याप्त कमरे हैं, न दरी-कुर्सी, न बुनियादी संसाधन। बरसात के दिनों में यही एक कमरा भी पानी टपकने से बेकार हो जाता है, जिससे क्लासें बाधित हो जाती हैं। शौचालय की हालत बदहाल, पीने के पानी की व्यवस्था अधूरी यह तस्वीर किसी ग्रामीण कोने की नहीं, बल्कि शहर के बीचों-बीच स्थित विद्यालय की है।

इलाके के लोगों का कहना है कि यह उपेक्षित स्कूल सरकार और शिक्षा विभाग की नाकामी की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। शिकायतें की गईं, गुहार लगाई गई, मगर विभाग की तरफ से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लोगों की उम्मीद अभी भी ज़िंदा है कि प्रशासन जल्द जागेगा और बच्चों को बेहतर तालीम के लिए बेहतर इंतज़ाम करेगा।

भागलपुर का यह हाल बताता है कि अगर अब भी सुधार नहीं हुआ, तो आने वाली पीढ़ियाँ सिर्फ खंडहरों में सपने ढूँढ़ती रह जाएँगी।