Bihar Education News:बिहार बोर्ड का बड़ा फैसला, 2026 से मैन्युअल दस्तावेज का सत्यापन होगा बंद, छात्रों को होगा ये फायदा

Bihar Education News: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तकनीकी नवाचार की राह पर एक और बड़ा और दूरगामी क़दम उठाते हुए दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल कर दिया है।

बिहार बोर्ड का बड़ा फैसला- फोटो : social Media

Bihar Education News: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति  ने तकनीकी नवाचार की राह पर एक और बड़ा और दूरगामी क़दम उठाते हुए दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल कर दिया है। बोर्ड द्वारा लॉन्च किए गए नए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सिस्टम  सॉफ्टवेयर के ज़रिए अब मैट्रिक, इंटरमीडिएट, शिक्षक पात्रता परीक्षा, डीएलएड सहित अन्य परीक्षाओं के प्रमाण पत्रों का सत्यापन ऑनलाइन किया जा सकेगा। इस फैसले के तहत 1 जनवरी 2026 से मैन्युअल वेरीफिकेशन व्यवस्था पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी।

इस निर्णय से लाखों छात्रों के साथ-साथ सरकारी विभागों और निजी संस्थानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। अब न तो बोर्ड कार्यालय के चक्कर लगाने होंगे, न ही डाक से आवेदन भेजने या महीनों तक सत्यापन रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ेगा। कुछ ही क्लिक में डिजिटल माध्यम से सत्यापन की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी, जिससे समय, श्रम और संसाधनों तीनों की बचत होगी।

बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने DVS सॉफ्टवेयर का औपचारिक शुभारंभ करते हुए कहा कि यह व्यवस्था छात्रों और संस्थानों—दोनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि नियुक्ति, प्रवेश या किसी भी आधिकारिक प्रक्रिया के दौरान प्रमाण पत्रों का सत्यापन अब पूरी तरह पारदर्शी और भरोसेमंद होगा। ऑनलाइन सत्यापन की यह सेवा biharboardonline.com पोर्टल के माध्यम से संचालित की जाएगी। संबंधित संस्थानों को DVS पोर्टल पर केवल एक बार रजिस्ट्रेशन करना होगा, जिसमें संस्था का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा। इसके बाद सिस्टम स्वतः तय करेगा कि सत्यापन किस अधिकारी या विभाग के स्तर से किया जाना है।

नई व्यवस्था के तहत सत्यापन शुल्क भी ऑनलाइन ही जमा होगा। संस्था की श्रेणी के अनुसार शुल्क स्वतः निर्धारित किया जाएगा और भुगतान के बाद आवेदन स्वीकार कर लिया जाएगा। इसके पश्चात डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इससे न सिर्फ प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि अनावश्यक देरी और मानवीय हस्तक्षेप की गुंजाइश भी खत्म होगी।

बिहार बोर्ड का मानना है कि इस डिजिटल पहल से फर्जी प्रमाण पत्रों पर लगाम लगेगी और सत्यापन प्रक्रिया पहले से कहीं अधिक सटीक और विश्वसनीय बनेगी। साथ ही कागजी कामकाज समाप्त होने से यह कदम पर्यावरण के लिहाज़ से भी अहम माना जा रहा है। बोर्ड ने इसे ‘पेपरलेस प्रशासन’ की दिशा में एक ठोस प्रयास बताया है।

अध्यक्ष आनंद किशोर ने दावा किया कि बिहार बोर्ड देश का पहला राज्य परीक्षा बोर्ड बन गया है, जिसने दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन किया है। समय पर परीक्षा परिणाम जारी करने के बाद अब यह तकनीकी पहल बिहार बोर्ड की राष्ट्रीय पहचान को और मजबूत करेगी। साफ है कि डिजिटल सिस्टम को अपनाकर बिहार बोर्ड ने छात्रों और संस्थानों के लिए एक सरल, तेज़ और भरोसेमंद व्यवस्था की नींव रख दी है।