Bihar Vidhansabha Chunav 2025: पहले चरण की 121 सीटों पर सियासी संग्राम, 2020 में कुछ हजार मतों ने बदल दिया था खेल, 2025 में फिर वहीं महाभिड़ंत, तीसरी ताकत जनसुराज ने बढ़ाई एनडीए, महागठबंधन की बेचैनी
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है और पहले चरण की 121 सीटों पर कुर्सी का ये इम्तिहान किसी जंग-ए-मैदान से कम नहीं। ...
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बिसात बिछ चुकी है और पहले चरण की 121 सीटों पर कुर्सी का ये इम्तिहान किसी जंग-ए-मैदान से कम नहीं। सियासत की इस शतरंज में हर चाल सोची-समझी, हर मोहरा रणनीति के साथ उतारा जा रहा है, क्योंकि पिछली बार ये 121 सीटें कांटे की जंग की गवाह रही थीं जहां महागठबंधन को 61 सीटें, एनडीए को 59, और एक सीट लोजपा के खाते में गई थी। मामूली फासले ने तस्वीर बदली और सरकार महागठबंधन की मुट्ठी में आते आते छूट गई। सिर्फ 12 सीटों ने तकदीर का काग़ज पलट दिया।
इसी लिहाज़ से 2025 का पहला चरण किसी आम वोटिंग का दौर नहीं ये राजनीतिक तकदीर का मुआमला है। अगर शुरूआती बढ़त एनडीए के पाले में गई तो महागठबंधन की हालत मुश्किल, और अगर विपक्षी मोर्चा बड़ा झटका लगा दे तो एनडीए के लिए सत्ता की राह पथरीली हो जाएगी।
पिछली दफ़ा राजद ने इन 121 सीटों में सबसे बड़ा जलवा दिखाते हुए 42 जीत अपने नाम की थीं। कुल 75 में से आधे से ज़्यादा काम इन्हीं इलाक़ों ने निकाल दिया था। दूसरी ओर भाजपा ने 32 जीत दर्ज की थीं और इस बार कोशिश है कि झोली और भारी हो जाए। जदयू ने 23 सीटें ली थीं और वो हर कीमत पर अपने पुराने परफॉर्मेंस पर मुहर लगाना चाहती हैबल्कि उससे आगे बढ़कर। कांग्रेस, माले, सीपीआई, और सीपीएम भी पहले चरण की जमीन पर ही आधी कमाई कर चुके थे।इस बार मैदान ज्यादा वापसी और बदले की लड़ाई जैसा है। जदयू सबसे आगे है और 57 सीटों पर उम्मीदवार उतारा है।भाजपा 48 पर कमान संभाले हुए है। तो लोजपा (रा) 14 और रालोमो 2 सीटों से दांव लगाए बैठी है।
दूसरी तरफ़ महागठबंधन में राजद 73 सीटों पर लड़ाई में, कांग्रेस 24, माले 14, जबकि वीआईपी, CPI, CPM और IIP भी मोर्चे पर सक्रिय है।
सबसे बड़ा रोचक मोड़ जनसुराज ने 119 सीटों पर उमीदवार उतारकर मैदान को त्रिकोणीय बना दिया है। यानी इस बार चुनाव सिर्फ दो गठबंधनों का नहीं, तीन रंगों का रण है।
18 जिलों पटना, सीवान, भोजपुर, बक्सर समेत उत्तर बिहार के क़िले पिछली बार महागठबंधन की झोली में गए थे, लेकिन एनडीए ने उत्तर बिहार की जमीन पर बढ़त बनाई थी। इस बार दोनों तरफ की कोशिश है कि पिछली कड़ी टक्कर को आसान जीत में बदला जाए, इसलिए पार्टियां जमीन पर एड़ी से लेकर चोटी तक ताकत झोंक चुकी हैं। अब गेंद डनता के पाले में है।
बहरहाल नतीजा जो भी निकले, इतना तय है कि पहला चरण ही सत्ता के सिंहासन की दरवाजा खोलेगा।
रिपोर्ट- हीरेश कुमार