Parihar Assembly Seat: यादव-मुस्लिम समीकरण की राजनीति और भाजपा की लगातार दूसरी जीत
सीतामढ़ी की परिहार विधानसभा सीट पर भाजपा ने लगातार दो बार जीत दर्ज की है, जबकि राजद के वरिष्ठ नेता राम चंद्र पूर्वे को दो बार हार का सामना करना पड़ा। जानें यहां के जातीय समीकरण, मुस्लिम वोटरों की भूमिका और चुनावी आंकड़ों का पूरा विश्लेषण।
सीतामढ़ी (बिहार): सीमावर्ती जिला सीतामढ़ी की परिहार विधानसभा सीट भले ही राजनीतिक नक्शे पर हाल ही में उभरी हो, लेकिन जातीय और धार्मिक समीकरणों के चलते यहां की राजनीति बेहद दिलचस्प बन गई है। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस सीट पर अब तक सिर्फ भारतीय जनता पार्टी का ही परचम लहराया है। वर्तमान में भाजपा की गायत्री देवी यहां की विधायक हैं, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।
2010 में पहली बार हुए चुनाव में भाजपा के राम नरेश यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता राम चंद्र पूर्वे को हराकर सीट पर कब्जा जमाया। इसके बाद 2015 में गायत्री देवी ने भाजपा को दोबारा जीत दिलाई। 2020 के चुनाव में भी गायत्री देवी ने राजद के ऋतू कुमार को कड़ी टक्कर देते हुए 73,420 वोट (42.52%) हासिल किए, जबकि ऋतू कुमार को 71,851 वोट (41.61%) मिले। यह मुकाबला बेहद नजदीकी रहा, दोनों के बीच करीब 1,500 वोटों का ही अंतर था। हालांकि, 2020 में कुल 14 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे, जिनमें से 12 की जमानत जब्त हो गई। कुल मतदान प्रतिशत 57% से अधिक रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि परिहार सीट पर मतदाता सक्रियता अच्छी रही है।
परिहार सीट पर यादव मतदाता सबसे अधिक संख्या में हैं, लेकिन मुस्लिम समुदाय भी लगभग 25.1% वोटों के साथ निर्णायक भूमिका निभाता है। मुस्लिम मतदाताओं की कुल संख्या करीब 79,695 है, जो अक्सर किसी भी चुनावी समीकरण को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं। इनके अलावा, ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी प्रभावशाली है और वे पारंपरिक रूप से भाजपा के समर्थक माने जाते हैं। SC मतदाता लगभग 11.27% (35,783) हैं, जबकि ST मतदाता महज 0.13% (413) हैं। परिहार विधानसभा पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें कुल ग्रामीण मतदाताओं की संख्या करीब 3.17 लाख है।
आरजेडी के दिग्गज नेता राम चंद्र पूर्वे को इस सीट पर दो बार हार का सामना करना पड़ा, जो यह दिखाता है कि पार्टी अब तक स्थानीय जनमानस को अपने पक्ष में मोड़ने में असफल रही है। मुस्लिम और यादव मतदाताओं का गठजोड़ भी यहां भाजपा के सामने कमजोर साबित हुआ है।
भाजपा की लगातार दो जीत ने यह संकेत जरूर दिया है कि पार्टी ने यहां अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। लेकिन वोटों का कम अंतर यह भी दिखाता है कि विपक्षी दलों के पास अभी भी मौके हैं, खासकर यदि वे मुस्लिम-यादव समीकरण को और प्रभावी ढंग से साध पाते हैं। परिहार विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव रोचक हो सकता है, जहां भाजपा के लिए हैट्रिक बनाने की चुनौती होगी और विपक्ष के लिए यह सीट अपनी वापसी का प्रतीक बन सकती है। मुस्लिम मतदाता जहां निर्णायक भूमिका में रहेंगे, वहीं यादव और ब्राह्मण वोटों की दिशा से पूरे चुनावी समीकरण तय होंगे।