Harsiddhi Assembly Seat: कांग्रेस के गढ़ से बीजेपी के किले तक का सफर

Harsiddhi Assembly Seat: पूर्वी चंपारण जिले की हरसिद्धि विधानसभा सीट ने बीते सात दशकों में कई राजनीतिक रंग देखे हैं। 1952 में अस्तित्व में आयी इस अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन वक्त के साथ सत्ता का समीकरण बदला और अब यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मजबूत गढ़ के रूप में उभरी है।
भाजपा का वर्तमान वर्चस्व
वर्तमान में हरसिद्धि सीट से भाजपा विधायक कृष्णा नंदन पासवान हैं, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कुमार राजेंद्र को शिकस्त दी थी। पासवान को 84,615 वोट (49.71%) मिले, जबकि राजद उम्मीदवार को 68,930 वोट (40.50%) पर संतोष करना पड़ा। इस चुनाव में कुल 63.23% मतदान हुआ था।
हाल के चुनावी इतिहास पर नजर
2015 में यह सीट राजद के पास थी, जब राजेंद्र कुमार ने भाजपा के कृष्णा नंदन पासवान को 10,267 वोटों के अंतर से हराया था। उस चुनाव में राजेंद्र को 49.9% और पासवान को 43.1% वोट मिले थे। वहीं, 2010 में पासवान ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर राजद के सुरेंद्र कुमार को हराकर सीट अपने नाम की थी।
राजनीतिक बदलाव की कहानी
1952 से लेकर अब तक कांग्रेस इस सीट पर सात बार जीत चुकी है, लेकिन 1990 के बाद से पार्टी को यहां जीत नसीब नहीं हुई। इसके बाद क्षेत्रीय दलों और भाजपा ने इस सीट पर अपना वर्चस्व बढ़ाया। एलजेपी ने भी दो बार यहां से जीत दर्ज की, पहली बार 2005 के फरवरी चुनाव में जब उसके प्रत्याशी अवधेश प्रसाद कुशवाहा ने जेडीयू को हराया था। जेडीयू हालांकि पिछले दो दशकों से इस सीट पर जीत दर्ज करने में नाकाम रही है। अब तक यहां से कांग्रेस (7 बार), लोजपा (2), भाजपा, राजद, समता पार्टी, जनता दल, जनता पार्टी, कांग्रेस (ओ) और सीपीआई को एक-एक बार जीत मिली है।
हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, जहां लगभग 2.68 लाख ग्रामीण मतदाता हैं। मुस्लिम मतदाता लगभग 18.5% (करीब 49,564) हैं और SC समुदाय के मतदाता लगभग 16.18% (करीब 43,349)। रविदास और कोइरी समुदायों के वोट भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं। 2000 में इस सीट पर सबसे ज्यादा 71.1% मतदान दर्ज किया गया था।
हरसिद्धि में चुनावी मुद्दे अब पारंपरिक राजनीति से हटकर स्थानीय विकास की ओर झुके हैं। 2020 में सड़क, कृषि मंडी, अधूरे वादे, शिक्षा, रोजगार और तुरकौलिया को पर्यटन स्थल से जोड़ने जैसे मुद्दे चुनावी चर्चा में रहे।