Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चुनाव के बीच जदयू के प्रखंड अध्यक्ष का शराब पीते वीडियो वायरल, वीआईपी का नीतीश सरकार पर साधा तीखा तंज

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार के कुशेश्वरस्थान पूर्वी क्षेत्र से एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाने का एक बड़ा संदेश भी दे दिया है।...

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार के कुशेश्वरस्थान पूर्वी क्षेत्र से एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसने न सिर्फ राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाने का एक बड़ा संदेश भी दे दिया है। वीडियो में जदयू के प्रखंड अध्यक्ष राजेश कुमार राय कुर्सी पर आराम फरमाते दिख रहे हैं, और उनके आस-पास शराब की बोतलें और पानी की बॉटलें रखी हुई हैं। यह दृश्य ऐसे वक्त में सामने आया है जब बिहार सरकार अपनी शराबबंदी की कठोर नीति का बार-बार दावा करती रही है।

सोशल मीडिया पर इस वीडियो के वायरल होते ही जनता और विपक्षी दलों में गुस्से और सवालों की बौछार शुरू हो गई। आम लोग सवाल कर रहे हैं कि जब सरकार के नुमाइंदे ही शराब का सेवन और अवैध पार्टी कर सकते हैं, तो आम नागरिकों से कानून का पालन क्यों अपेक्षित है। इस पर राजनीतिक विश्लेषक भी कहते हैं कि यह सिर्फ कानूनी उल्लंघन नहीं, बल्कि नैतिक और प्रशासनिक ढिलाई का भी प्रमाण है।

वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और शहरी विधानसभा प्रत्याशी उमेश सहनी ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि “सरकार की कुर्सी के पीछे बैठे ये लोग, जो कॉरपोरेट और प्रशासनिक तंत्र के नाम पर पूरी व्यवस्था चला रहे हैं, वही लोग पूरे बिहार में शराब की खेप पहुंचाकर मालामाल हो रहे हैं। बिहार में शराब मिल रही है, इसका जिम्मेदार कोई आम नागरिक नहीं बल्कि सरकार और उसके नुमाइंदे हैं।”

उमेश सहनी ने आगे कहा कि बिहार में शराबबंदी एक राजनीतिक हथकंडा बन गई है, जिसमें सिर्फ महिलाओं और संवेदनशील वर्ग को बहकाने की कोशिश की जा रही है ताकि वोट बैंक तैयार किया जा सके। उन्होंने साफ कहा कि पीने वाले को दोषी नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि असली जिम्मेदारी सरकार की है। “जदयू कार्यकर्ता या आम लोग दोषी नहीं हैं, असली जिम्मेदार खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं,” उन्होंने कहा।

राजनीतिक हलकों में यह वीडियो चर्चा का विषय बन गया है। विपक्ष ने शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर स्वयं सरकार के अधिकारी इसे उल्लंघन कर सकते हैं, तो आम जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा। राज्य में कानून का राज और प्रशासनिक निष्ठा की गंभीरता पर भी संदेह जताया गया है।

इस वायरल वीडियो ने बिहार की सियासी गलियारों में तूफान ला दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या जदयू या प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करेगा या इसे भी मीडिया ट्रेंड के तौर पर दबा दिया जाएगा। कानूनी जानकार मानते हैं कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो यह शराबबंदी कानून की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करेगा।

दरभंगा में वायरल इस वीडियो ने साफ कर दिया है कि राजनीति और शराबबंदी के बीच की खाई कितनी गहरी है। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे केवल एक घटना नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों और प्रशासनिक ढिलाई का दर्पण मान रहे हैं।