Bihar Vidhansabha Chunav 2025: झामुम की इंट्री से चढ़ा सियासी पारा, सासाराम में झामुम नेता कामेश्वर बैठा ने राजद प्रत्याशी के लिए किया चुनाव प्रचार

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुम) का गठबंधन न बनने के बावजूद झामुम के नेता बिहार में राजद के समर्थन में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।

झामुम की इंट्री से चढ़ा सियासी पारा- फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुम) का गठबंधन न बनने के बावजूद झामुम के नेता बिहार में राजद के समर्थन में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। हालिया मामले में, सासाराम के राजद प्रत्याशी सतेंद्र साह के लिए प्रचार करने पलामू के पूर्व सांसद कामेश्वर बैठा पहुंचे।

कामेश्वर बैठा ने मीडिया से कहा कि वे झामुम के केंद्रीय समिति के सदस्य हैं, लेकिन सासाराम में सतेंद्र साह के साथ उनका व्यक्तिगत रिश्ता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका बिहार में प्रचार करना व्यक्तिगत फैसला है और इसका झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के बीच गठबंधन से कोई संबंध नहीं है।

सतेंद्र साह को उन्होंने “मजबूत और प्रभावशाली उम्मीदवार” बताया। कामेश्वर बैठा ने कहा कि वह बिहार में अपने “संघर्षशील साथियों की मदद” के लिए आए हैं। राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो कामेश्वर बैठा नक्सल अभियान से जुड़े रहे हैं और 2009 में पलामू से सांसद बने थे, उस समय वे सासाराम की जेल में बंद थे।

इससे पहले कामेश्वर बैठा तृणमूल कांग्रेस में थे, लेकिन पिछले साल वे झामुम में वापस लौट आए। उनके बिहार में प्रचार करने से यह संदेश गया कि व्यक्तिगत समर्थन और राजनीतिक संबंध कभी-कभी पार्टी लाइन से ऊपर हो सकते हैं।

हालांकि, सतेंद्र साह के खिलाफ झारखंड के एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी भी दर्ज है। इस बीच कामेश्वर बैठा ने सतेंद्र साह के लिए वोट की अपील की और कहा कि उनका यह कदम राजनीतिक गठबंधन का हिस्सा नहीं, बल्कि व्यक्तिगत समर्थन के तौर पर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार और झारखंड में गठबंधन संबंधी निर्णय पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा तय किए जाएंगे। फिलहाल यह मामला दिखाता है कि स्थानीय राजनीति में व्यक्तिगत रिश्तों और समर्थन की भूमिका अभी भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।

रिपोर्ट- रंजन कुमार