Kalyanpur Assembly Seat: बदलते समीकरणों की कहानी, महिला नेतृत्व से राजद की वापसी तक

Kalyanpur Assembly Seat

Kalyanpur Assembly Seat: पूर्वी चंपारण जिले की कल्याणपुर विधानसभा सीट बिहार की उन गिनी-चुनी सीटों में से एक है जहां न केवल लगातार दलों का वर्चस्व बदला है, बल्कि महिला प्रत्याशियों की उल्लेखनीय भागीदारी भी रही है। अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित इस सीट पर 2010 में पहली बार चुनाव हुआ और अब तक यह सीट कई बार राजनीतिक पलटवार की गवाह बन चुकी है। फिलहाल, यह सीट राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कब्जे में है और मनोज कुमार यादव यहां से विधायक हैं।

कल्याणपुर सीट का अस्तित्व 2008 के परिसीमन के बाद हुआ। 2010 के पहले चुनाव में जदयू की रजिया खातून ने जीत दर्ज की थी। यह वह समय था जब भाजपा और जदयू का गठबंधन अपने चरम पर था। उन्होंने राजद के मनोज कुमार यादव को हराया था। लेकिन 2015 में समीकरण बदले और भाजपा के सचिंद्र प्रसाद सिंह ने जदयू की रजिया खातून को 11,488 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की। उन्हें 36.9% वोट मिले जबकि रजिया को 28.5% मतों से संतोष करना पड़ा। 2020 में राजद के मनोज कुमार यादव ने दमदार वापसी की और कड़े मुकाबले में भाजपा के सचिंद्र प्रसाद सिंह को मात दी। मनोज को 72,819 वोट (45.35%) मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 71,626 (44.61%) वोट मिले। यह मुकाबला बेहद करीबी रहा।

2009 के उपचुनाव और 2005 में यहां राजद के अशोक वर्मा विधायक चुने गए थे। वहीं 2000 और अक्टूबर 2005 में अश्वमेध देवी ने दो बार जीत हासिल की थी—पहली बार समता पार्टी और दूसरी बार जदयू के टिकट पर।अब तक इस सीट पर कुल 14 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस ने तीन, जदयू और राजद ने दो-दो, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दो, और भाजपा, समता पार्टी, जनता दल, लोकदल व जनता पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।

कल्याणपुर सीट पर भूमिहार, कोइरी और पासवान मतदाताओं की बड़ी संख्या है, वहीं मुस्लिम वोटर लगभग 10.6% हैं। अनुसूचित जाति मतदाता 20.99% हैं। यहां का लगभग 99% हिस्सा ग्रामीण है, जिससे यह सीट पूरी तरह से ग्रामीण मुद्दों पर आधारित रही है। यह सीट महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी के लिए भी जानी जाती है। 2015 में 59.8% मतदान हुआ, जिसमें महिलाओं की सक्रियता उल्लेखनीय रही। इस चुनाव में 10 प्रत्याशी मैदान में थे और 4,260 लोगों ने NOTA का इस्तेमाल किया।