ओवैसी ने बढाई तेजस्वी-रहुल की टेंशन, विधानसभा चुनाव के पहले मुस्लिम वोटरों को लेकर मुश्किल में पड़ेगी राजद-कांग्रेस

ओवैसी ने कहा कि 'एकतरफ़ा प्यार नहीं चलेगा. उन्होंने मुसलमानों को केंद्रित कर तेजस्वी यादव और राहुल गांधी पर निशाना साधा है जो विधानसभा चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन को झटका की तरह है.

Asaduddin Owaisi- फोटो : news4nation

Owaisi : बिहार विधानसभा चुनाव के पहले विपक्षी एकता की बात करने वाले तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के लिए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के एक बयान से टेंशन बढ़ने की संभावना है. खासकर इसका सीधा असर बिहार के मुस्लिम वोटरों पर पड़ सकता है क्योंकि आबादी के लिहाज से बिहार में करीब 17.70 फीसदी हिस्सा मुस्लिम धर्म को मानता है. इस बड़े वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करते हुए ओवैसी ने इंडिया गठबंधन पर बड़ा हमला बोला है. 


दरअसल, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक के साथ किसी भी गठबंधन की संभावना से इनकार किया और राज्य में तीसरा मोर्चा बनाने के लिए समर्थन दोहराया. एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए, ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन में शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं उठता और उन्होंने विरोधी दलों पर हाशिए पर पड़ी आवाज़ों को दबाने के लिए उनकी पार्टी को निशाना बनाने का आरोप लगाया.


एकतरफ़ा प्यार नहीं चलेगा... 

ओवैसी ने कहा कि 'एकतरफ़ा प्यार नहीं चलेगा... बिहार के लोगों को समझना चाहिए कि हम पर लगाए गए आरोप झूठ पर आधारित हैं. वे नहीं चाहते कि गरीबों और उत्पीड़ितों का कोई नेता उभरे. ओवैसी ने आरोप लगाया कि उनके राजनीतिक विरोधी चाहते हैं कि बिहार के लोग उनके अधीन रहें. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि बिहार के लोग उनके गुलाम बने रहें... हम अपना चुनाव अच्छे से लड़ेंगे.' उन्होंने कहा कि  एआईएमआईएम बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने के पक्ष में है. ओवैसी ने आगे कहा कि हमारी बिहार इकाई के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा है कि हमें तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करनी चाहिए. यह हमारी तरफ से एक प्रयास था. अब सब कुछ बिहार की जनता के सामने है.


राजद ने नहीं दिया भाव 

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में, बिहार में एआईएमआईएम के इकलौते विधायक अख्तरुल ईमान ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को एक पत्र लिखकर महागठबंधन में शामिल होने की माँग की थी, जिसमें वर्तमान में राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं. हालांकि राजद की ओर से ओवैसी की पार्टी को ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे इंडिया गठबंधन में एआईएमआईएम को शामिल करने की कवायद हो. इसी को लेकर अब ओवैसी ने साफ कहा है कि 'एकतरफ़ा प्यार नहीं चलेगा.' 


5 सीटों पर जीती थी एआईएमआईएम 

बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 पर जीत भी हासिल की थी।  इतना ही नहीं, कई सीटों पर आरजेडी के प्रत्याशियों की हार में भी ओवैसी के प्रत्याशियों को जिम्मेदार माना गया था। बिहार में हुई जातीय गणना के हिसाब से राज्य में मुस्लिम आबादी करीब 17.70 फीसदी है. विशेषकर सीमांचल के जिलों किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार आदि में मुस्लिम बहुल इलाके माने जाते हैं. किशनगंज में करीब 67 फीसदी मुस्लिम आबादी मानी जाती है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी असदुद्दीन औवेसी को इस इलाके में बड़ी सफलता मिली थी. 


मुस्लिम वोटरों पर मजबूत पकड़ 

एआईएमआईएम को लेकर हमेशा से माना जाता है कि वह मुस्लिम समुदाय की प्रमुखता से नुमाइंदगी करते हैं. विधानसभा चुनाव 2020 में असदुद्दीन ओवैसी के दल को पांच सीटों पर मिली सफलता उसी का परिणाम था. ऐसे में इस बार अगर असदुद्दीन ओवैसी फिर से बिहार में मजबूत होते हैं तो यह राजद और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका रहेगा. दरअसल, लालू यादव की पार्टी राजद का शुरू से एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण का हिसाब रहा है. अगर मुस्लिम वोटरों ने राजद का साथ छोड़ा तो राजद को कई सीटों पर मुश्किलों का सामना करता होगा.